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तेजी से होते घटनाक्रमों के लिए आंख बंद नहीं कर सकते स्पीकर- बागी विधायकों पर अभिषेक मनु सिंघवी की 10 दलीलें

Rajasthan Crisis: बागी विधायकों की याचिका पर स्पीकर का पक्ष रख रहे सिंघवी ने कहा कि जब तक स्पीकर फैसला नहीं कर लेते कोर्ट इस मामले में दखल नहीं दे सकता है.

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Rajasthan Crisis: सिंघवी ने स्पीकर की ओर से कोर्ट में पेश की दलील (फाइल फोटो)
जयपुर:

Rajasthan Crisis: राजस्थान के सियासी संकट के बीच सचिन पायलट (Sachin Pilot) गुट की याचिका पर सोमवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है. विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी का पक्ष रखते हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सचिन पायलट और अन्य बागी विधायक तब तक अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकते जब तक स्पीकर अपना फैसला नहीं सुना दें. सिंघवी ने कहा कि यह केस ज्यूडिशियल रिव्यू के दायरे में नहीं आता है. स्पीकर के आदेश को लिमिटेड ग्राउंड पर ही चुनौती दी जा सकती है, लेकिन याचिका में वो ग्राउंड मौजूद नहीं है. विधायकों की याचिका अपरिपक्व है. 

  1. सिंघवी ने कहा कि जब तक स्पीकर फैसला नहीं कर लेते कोर्ट इस मामले में दखल नहीं दे सकता है. सिंघवी ने अपनी बात दोहराते हुए फिर कहा कि जब तक विधायकों के खिलाफ अयोग्यता पर स्पीकर कोई फैसला नहीं लेते तब तक कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता है.
  2. सुनवाई के दौरान सिंघवी ने झारखंड के मामले का उदाहरण दिया. सिंघवी ने कहा कि यह केस ज्यूडिशियल रिव्यू के दायरे में नहीं आता है. स्पीकर के आदेश को लिमिटेड ग्राउंड पर ही चुनौती दी जा सकती है, लेकिन याचिका में वो ग्राउंड मौजूद नहीं है. विधायकों की याचिका अपरिपक्व है. 
  3. सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि स्पीकर के फैसलों की न्यायिक समीक्षा सीमित मुद्दों पर हो सकती है. सिंघवी ने हाल ही के मणिपुर के केशम मेघचंद्र सिंह के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अयोग्यता नोटिस पर निर्णय स्पीकर को ही लेना है. 
  4. सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि स्पीकर सही या गलत कर सकता है. यह याचिका स्पीकर द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर आधारित है. जब तक स्पीकर ने आपको अयोग्य नहीं ठहराया, आप अदालत से संपर्क नहीं कर सकते हैं. 
  5. सिंघवी ने अमृता रावत बनाम उत्तराखंड विधानसभा 2016 के कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि कोर्ट ने इस मामले में याचिका को खारिज किया था, जिसमें स्पीकर के फैसले को चुनोती दी गई थीं. स्पीकर ने इस मामले में विधायक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. जिसको अदालत में चुनौती दी गई थी. दिल्ली के आप विधायक देविंदर सहरावत केस का हवाला दिया. 
  6. सिंघवी ने कहा स्पीकर ने अभी तक फैसला नही लिया है. स्पीकर द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर रोक नही लगाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि 19 विधायकों के केस अलग अलग है. स्पीकर सभी केसों को अलग अलग देखेंगे.
  7. कोर्ट के समक्ष उन्होंने कहा कि पार्टी की बैठक में गैर-उपस्थिति, पार्टी की सदस्यता स्वैच्छिक छोड़ने के समान हो भी सकता है और नहीं भी. यह तथ्यों पर निर्भर करता है और स्पीकर को उस पर निर्णय लेने का अवसर दिया जाना चाहिए. 
  8. स्पीकर सही निर्णय पारित कर भी सकता है या नहीं भी, लेकिन आदेश से पहले के चरण में यह कहते हुए कि स्पीकर गलत निर्णय लेगा, कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है. 
  9. सिंघवी ने अब याचिकाकर्ताओं की दलील को संबोधित करते हुए कहा कि नियमों का उल्लंघन करते हुए जवाब देने के लिए केवल 2 दिन का समय दिया गया था, जबकि 7 दिनों के लिए अनिवार्य है. SC ने माना है कि प्राकृतिक न्याय प्रतिक्रिया के लिए दिए गए दिनों की संख्या पर निर्भर नहीं है.
  10. स्पीकर तेजी से हो रहे घटनाक्रम के लिए अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते हैं. यदि कोई नियमों का उल्लंघन है तो भी स्पीकर के फैसले को रद्द नहीं किया जाएगा. 

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