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This Article is From Jul 27, 2016

सातवें वेतन आयोग के तहत प्रमोशन के नए मापदंडों को लेकर सरकार के फैसले का तीखा विरोध

सातवें वेतन आयोग के तहत प्रमोशन के नए मापदंडों को लेकर सरकार के फैसले का तीखा विरोध
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: सातवें वेतन आयोग पर आए नोटिफिकेशन में प्रमोशन और प्रदर्शन को जोड़ने के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। कर्मचारी संगठन इसका तीखा विरोध कर रहे हैं।

नोटिफिकेशन के बाद कर्माचारियों में बढ़ी नाराजगी
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से पहले ही कई कर्मचारी संगठन नाराज थे। सरकार की अपील पर हड़ताल चार महीने टली थी। अब यह संगठन नोटिफिकेशन में प्रमोशन और प्रदर्शन को जोड़ने के फैसले के खिलाफ खड़े हो गए हैं। इनका कहना है कि पहले ही प्रमोशन के नियम पेशेवर नहीं हैं और अब ज्यादा परेशानी होगी।

कर्मचारियों की नाराजगी सबसे ज्यादा प्रमोशन के नए मापदंडों को लेकर है। नए नियमों के लागू होने के बाद किसी भी कर्मचारी को तभी तरक्की मिलेगी जब उसका काम 'वेरी गुड' की श्रेणी में आएगा। अब तक "गुड" आने से ही तरक्की का रास्ता खुल जाता था।

रेलवे के कर्मचारी भी सरकार के फैसले से खफा
एनडीटीवी को उत्तरी रेलवे के हेडक्वार्टर बड़ौदा हाउस में ऐसे कई कर्मचारी मिले जो सरकार के इस फैसले से नाराज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रमोशन के नियम पहले से ही पेशेवर नहीं हैं और बहुत कुछ बड़े अधिकारियों की मनमर्जी से होता है। उनका दावा है कि इस फैसले से चमचागिरी को और बढ़ावा मिलेगा और अब प्रमोशन मिलना अधिक मुश्किल हो गया है।

सालाना वेतन वृद्धि रोकने पर भी सवाल
सवाल अधिकारी स्तर पर भी उठ रहा है। आल इंडिया रेलवे प्रमोटी आफिसर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल रमन शर्मा कहते हैं कि अधिकारियों को प्रमोशन के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। सवाल अच्छे काम के पैमाने पर खरा न उतरने वाले कर्मचारियों की सैलरी में सालाना होने वाली बढ़ोतरी को रोकने के प्रावधान को लेकर भी उठ रहा है। अब आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन इन प्रावधानों को सरकार के सामने रखने की तैयारी कर रहा है।

सरकार और कर्मचारी संघ फिर आमने-सामने
एनडीटीवी से बातचीत में आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शिवगोपाल मिश्रा ने कहा, "पे कमीशन के इन दोनों सुझावों को सरकार ने जिस तरह से स्वीकार किया है वह गलत है। हमने पे कमीशन के सामने भी इसका विरोध किया था। अब हम अपना विरोध सरकार के सामने रखेंगे।" यानी न्यूनतम बेसिक सैलरी पर टकराव के बाद अब प्रमोशन के नए नियम पर सरकार और कर्मचारी संघ फिर आमने-सामने आ रहे हैं।
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