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This Article is From Sep 14, 2021

"बस, मित्रों के हो, न देश, न इंसान के हो..." : राहुल गांधी ने दो लाइन ट्वीट कर इशारों-इशारों में PM पर साधा निशाना

राहुल ने सोमवार को एक ट्वीट में तुकबंदी करते हुए दो लाइनें पोस्‍ट की. इसमें हालांकि किसी का नाम नहीं लिया गया था लेकिन ज्‍यादातर लोगों को समझ में आ गया कि उनका निशाना किसकी तरफ है.

"बस, मित्रों के हो, न देश, न इंसान के हो..." : राहुल गांधी ने दो लाइन ट्वीट कर इशारों-इशारों में PM पर साधा निशाना
राहुल गांधी ने इशारों-इशारों में पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा
नई दिल्‍ली:

कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्र सरकार (Central Government)और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की नीतियों के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अख्तियार कर रखा है. मौका मिलने पर वे केंद्र की नीतियों को लेकर निशाना साधने से नहीं चूकते. कोरोना टीकाकरण अभियान हो या इस महामारी को नियंत्रित करने में सरकार की कथित नाकामी, जरूरी दवाओं की कालाबाजारी, ईंधन की कीमतों में लगातार इजाफे का मामला या फिर चीन से सीमा विवाद का मुद्दा, राहुल ने सरकार को हर मुद्दे पर आड़े हाथ लिया है. राहुल ने सोमवार को एक ट्वीट में तुकबंदी करते हुए दो लाइनें पोस्‍ट की. इसमें हालांकि किसी का नाम नहीं लिया गया था लेकिन ज्‍यादातर लोगों को समझ में आ गया कि उनका निशाना किसकी तरफ है. ज्‍यादातर लोगों का मानना है कि राहुल ने इस लाइनों के जरिये पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है. राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा, 'तुम हिंदू, सिख, ईसाई न मुसलमान के हो. बस मित्रों के हो, न देश, न इंसान के हो' दरअसल राहुल लगातार कहते रहे हैं कि पीएम मोदी के शासनकाल में उनके मित्र, दो-चार उद्योगपति ही फलफूल रहे हैं.

गौरतलब है कि पिछले दिनों राहुल ने रसोई गैस और डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमत को लेकर मोदी सरकार (Narendra Modi Government) पर व्‍यंग्‍य किया था. एक प्रेस कॉन्‍फ्रेस में उन्‍होंने कहा था कि सच में जीडीपी बढ़ रही है.राहुल ने कहा GDP का मतलब गैस डीज़ल पेट्रोल की क़ीमत बढ़ रही है. उन्‍होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के शासन काल में जीडीपी बढ़ने का मतलब ग्रास डोमिस्टिक प्रोडशन या सकल घरेलू उत्‍पाद नहीं है बल्कि 'गैस, डीजल पेट्रोल की कीमत बढ़ने' से है. '

कांग्रेस नेता ने कहा था कि मोदी के शासनकाल में किसानों, मध्‍य वर्ग, सैलरी क्‍लास और मजदूरों का डीमोनेटाइजेशन' हो रहा है जबकि मोनेटाइजेशन 'केवल हम दो हमारे दो'का ही हो रहा है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्‍होंने कहा था, 'मोदी जी ने पहले कहा था कि मैं डिमोनेटाइजेशन कर रहा हूं. वित्त मंत्री कहती रहती हैं कि मैं मोनेटाइजेशन कर रही हूं. किसानों, मज़दूरों, छोटे दुकानदार, एमएसएमई, सैलरीड क्लास, सरकारी कर्मचारियों और ईमानदार उद्योगपतियों का डीमोनेटाइजेशन हो रहा है. दो चार बड़े उद्योगपतियों का मोनेटाइजेशन हो रहा है.

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