राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहिए, अटकलें पार्टी के लिए ठीक नहीं : मिलिंद देवड़ा

राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहिए, अटकलें पार्टी के लिए ठीक नहीं : मिलिंद देवड़ा

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी

खास बातें

  • मोदी सरकार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रही
  • राहुल गांधी लगातार देशभर में लोगों से सम्पर्क कर रहे हैं
  • राहुल गांधी पार्टी को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं
नई दिल्ली:

पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कहा है कि राहुल गांधी को जल्द से जल्द कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहिए क्योंकि इस बारे में अटकलें पार्टी और कार्यकर्ताओं के मनोबल के लिए ठीक नहीं है.

मोदी सरकार के कामकाज के बारे में कांग्रेस नेता ने कहा हालांकि लोगों को इस सरकार से काफी उम्मीदें थीं लेकिन मोदी सरकार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रही.

मिलिंद देवड़ा ने कहा, ‘‘उन्हें बनना (अध्यक्ष) चाहिए. जल्द से जल्द बनना चाहिए. पार्टी और वरिष्ठ नेताओं को यह तय करना चाहिए कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए या दूसरे ढांचे में लाया जाए क्योंकि इस बारे में अटकलें लगना हमारी पार्टी के लिए ठीक नहीं है और यह कार्यकताओं के मनोबल को तोड़ता है.’’

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी लगातार देशभर में लोगों से सम्पर्क कर रहे हैं और पार्टी को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मेरी व्यक्तिगत राय है कि हमें जनता के समक्ष कांग्रेस पार्टी की सामाजिक नीतियों और विचारधारा को और मजबूती के साथ रखना चाहिए. हमें मीडिया, सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक से अधिक युवाओं को आकर्षित करना होगा. 18 साल के युवा जो पहली बार वोट डालेंगे.. उन्हें अपनी विचारधारा से जोड़ना होगा.’’

देवड़ा ने कहा कि अगले साल के प्रारंभ में कुछ राज्यों में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होने हैं जो देश की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इनमें उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं. उत्तर प्रदेश में हम अच्छी रणनीति के साथ पूरी ताकत लगा रहे हैं और निश्चित तौर पर इसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे. पंजाब में पिछले छह महीने में स्थितियां काफी बदली हैं और हमारी मेहनत रंग ला रही है. हम पंजाब में सरकार बनायेंगे. पार्टी का मनोबल और कार्यकर्ताओं का उत्साह काफी बढ़ा है.

उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी के तौर पर हमें आंतरिक स्तर पर देखना होगा कि हम आर्थिक मोर्चे पर कौन सी राह पकड़ें? हम सामाजिक पहलुओं को सुधार के साथ जोड़े या सुधारों को किस प्रकार से जनता के सरोकारों के साथ जोड़े? इस विषय पर आतंरिक तौर पर चर्चा करना होगा और एक दिशा तय करनी होगी.’’

देवड़ा ने कहा कि इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि आर्थिक सुधार का सूत्रपात हमारी पार्टी के समय में 1991 में हुआ था जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे. आज हम उन आर्थिक सुधारों की 25वीं वषर्गांठ मना रहे हैं. आज मोदी सरकार भी उन्हीं आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ा रही है. मोदी सरकार के ढाई वर्षों के कामकाज के बारे में पूछे जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कहा, ‘‘लोगों को इस सरकार से काफी उम्मीदें थीं क्योंकि पिछले तीन दशक में पहली बार जनता ने किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत देने का काम किया है. लेकिन मोदी सरकार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में काफी पीछे रह गई.’’

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले ढाई सालों में कोई नया आर्थिक या सामाजिक विचार या नीति पेश नहीं कर पाए. केंद्र की मौजूदा सरकार ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यक्रमों और योजनाओं की रिपैकेजिंग करने का काम किया है. हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है पर उद्योगपति, किसान, युवा, गरीब इससे निराश हैं क्योंकि वे काफी आस लगाये हुए थे पर उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुई.

सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि ढाई वषरे के कार्यकाल में मोदी सरकार का एक ही साहसी कदम (बोल्ड स्टेप) लक्षित हमला (सर्जिकल स्ट्राइक) था. इसका भी काफी राजनीतिकरण किया गया.

उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी शिविरों पर हमला वस्तुत: केंद्र सरकार की छवि को ठीक करने का प्रयास था. मोदी सरकार की छवि काफी खराब हो रही थी, इस हमले के माध्यम से उस खराब हो रही छवि को ठीक करने का प्रयास किया गया.

देवडा ने हालांकि कहा कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान मामलों को छोड़कर विदेश मामलों पर अच्छा काम किया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के पक्ष को रखने से लेकर रूस, अमेरिका, चीन एवं दुनिया के अनेक छोटे बड़े देशों के साथ संबंध को बेहतर करने की दिशा में अच्छी पहल की और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार के कामकाज को आगे बढ़ाया है. मिलिंद देवड़ा ने कहा कि पाकिस्तान के संदर्भ में मोदी सरकार की विदेश नीति में काफी बदलाव हुए और अनेक उतार चढ़ाव देखने को मिले. हम पाकिस्तान के संदर्भ में वर्तमान सरकार की नीति को पूरी तरह से नहीं, तो कम से कम कुछ हद तक विफल मानते हैं.

उन्होंने कहा कि पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाना और फिर अचानक एक समारोह में शरीफ के घर चले जाना और उसके बाद सम्पर्क पूरी तरह से टूट जाना.. इन सभी घटनाओं से स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान के संबंध में नीतियों में एकरूपता नहीं है. पाकिस्तान जैसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश के संदर्भ में विदेश नीति में एकरूपता होना जरूरी है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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