भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) के नवीकरण को लेकर सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा और आलोचना देखने को मिल रही है. ज्यादातर आलोचनाएं उन गलियारों को लेकर हो रही है, जिन्हें बदल दिया गया है. इन गलियारों में ही जनरल डायर ने बैसाखी पर शांति पूर्वक ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाने का निर्देश दिया था. इसमें हजारों लोग मारे गए थे. चारों तरफ लेजर लाइटें लगा दी गई हैं. इस पूरे मामले पर राहुल गांधी ने एनडीटीवी इंडिया की खबर शेयर करते हुए लिखा है कि जलियांवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता. मैं एक शहीद का बेटा हूं- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूंगा. हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं.
जलियाँवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 31, 2021
मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा।
हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं। pic.twitter.com/3tWgsqc7Lx
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सरकार पर नवीकरण के नाम पर इतिहास को नष्ट करने का आरोप लगाया है और साथ ही ये भी कहा है कि राजनेताओं को शायद ही कभी इतिहास की अनुभूति होती है. इतिहासकार एस इरफान हबीब ने जॉय दास के ट्वीट की रीट्वीट किया है. जॉय ने लिखा है कि पहली तस्वीर जलियांवाला बाग का मूल प्रवेश द्वार है, जहां से जनरल डायर ने नरसंहार का आदेश देने से पहले प्रवेश किया था. यह उस भयानक दिन की याद दिलाती है. दूसरी तस्वीर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इसे "संरक्षण" के नाम पर पुनर्निर्मित करने के बाद की है. देख लें ये कैसा दिखता है. इसी पर एस इरफान हबीब ने लिखा है कि इतिहास से छेड़छाड़ किए बिना विरासतों की देखभाल करें. नवीकरण के नाम विरासतों का असली महत्व खत्म होता नहीं दिखना चाहिए.
This is corporatisation of monuments, where they end up as modern structures, losing the heritage value. Look after them without meddling with the flavours of the period these memorials represent. https://t.co/H1dXQMmft7
— S lrfan Habib (@irfhabib) August 30, 2021
इस मामले पर सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि केवल वे जो स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे, वे ही इसी प्रकार का कांड कर सकते हैं. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पुनर्निर्मित परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा था कि यह देश का कर्तव्य है कि इसके इतिहास की रक्षा करें.
इतिहासकार किम ए वैगनर ने भी इस मामले पर ट्वीट किया है कि यह सुनकर स्तब्ध हूं कि 1919 के अमृतसर नरसंहार के स्थल जलियांवाला बाग को नया रूप दिया गया है, जिसका साफ अर्थ है कि घटना के अंतिम निशान भी मिटा दिए गए हैं. यही मैंने अपनी किताब में स्मारक के बारे में लिखा है, एक स्थान का वर्णन करते हुए, जो अब खुद इतिहास बन गया है.
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