कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में पार्टी महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों, पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कई अन्य वरिष्ठ नेताओं की बैठक जारी है. लेकिन इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद नहीं है. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी इस बैठक में आने की पात्रता नहीं रखते हैं क्योंकि वह सिर्फ सांसद और कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य मात्र हैं. आपको बता दें कि बैठक में मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हो रही है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा पार्टी के कई महासचिव-प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता शामिल हैं. इसमें मनमोहन सिंह और एके एंटनी विशेष आमंत्रित हैं. दूसरी ओर राहुल गांधी का कुछ देर पहले ही एक ट्वीट आया है जिसमें उन्होंने एक अंग्रेजी दैनिक में छपे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साक्षात्कार का हवाला देते हुए गांधी ने यह भी कहा कि पहले सरकार को स्वीकार करना चाहिए कि अर्थव्यवस्था को लेकर समस्या है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘इस समय दुष्प्रचार, मनगढ़ंत खबरों और युवाओं के बारे में मूर्खतापूर्ण बातें करने की जरूरत नहीं है, बल्कि भारत को एक ठोस नीति की जरूरत है ताकि अर्थव्यवस्था की स्थिति को ठीक किया जा सके.'' गांधी ने कहा, ‘‘पहले स्वीकार करिये कि हमारे सामने समस्या है. यह स्वीकार करना ही अच्छी शुरुआत होगी.'' उन्होंने मनमोहन सिंह के जिस साक्षात्कार का हवाला दिया उसमें पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि नोटबंदी और गलत ढंग से जीएसटी लागू करने के कारण अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हुई है.
संकट से जूझ रही कांग्रेस के लिए क्या सोनिया गांधी आज कोई निकाल पाएंगी रास्ता?
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. उनके इस फैसले के बाद पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वह इस पर अडिग रहे. इस्तीफे के साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि गांधी परिवार का कोई सदस्य अध्यक्ष नहीं बनेगा. इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई जिसमें एक बार फिर उन्हें फैसले पर विचार करने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया.
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बाद में कोई और रास्ता न देख कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया. लेकिन अभी पार्टी का संकट का दूर नहीं हुआ है. एक ओर जहां राष्ट्रीय स्तर पर मतभेद उभर रहे हैं तो दूसरी ओर राज्यों के संगठन में भी सिर फुटौवल वाले हालात हैं.
इनपुट : भाषा से भी
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