झारखंड की राजनीति में जमशेदपुर पूर्व सीट पर मुक़ाबला रोचक हो गया है. इस सीट से वर्तमान में मुख्यमंत्री और इस चुनाव में भाजपा के चेहरे रघुबर दास (Raghubar Das) पांच बार से जीत रहे हैं लेकिन इस बार उन्हें सरयू राय (Saryu Rai) चुनौती दे रहे हैं जो रविवार तक उन्हीं के मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगी थे. जहां रघुबर दास ने नामांकन भरने के बाद संवादाता सम्मेलन में राय की उम्मीदवारी पर बस इतना कहा कि लोकतंत्र है और सबको आज़ादी है कि वो कहां से किसके ख़िलाफ़ लड़ता है. लेकिन सरयू राय ने अपने नामांकन के बाद दास को ‘दाग़' बताया और यहां तक कह डाला कि 'रघुबर दाग़' को 'मोदी डिटर्जेंट' और अमित शाह की लॉन्ड्री भी नहीं धो पाएगी. सरयू राय के अनुसार 'रघुबर दाग' पिछले पांच साल में भाजपा के दामन पर लगा है. जहां पहली बार बहुमत की सरकार थी उस सरकार पर यह दाग़ लगा है और ये दाग़ ऐसा है कि 'मोदी डिटर्जेंट' और 'शाह लॉन्ड्री इसे मिटा नहीं सकती. अब जनता ही तय करेगी कि इस दाग़ को कैसे दूर करना है.
ये हैं भाजपा के बाग़ी उम्मीदवार सरयू राय जो अब रघुबर दास के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में हैं । उनके अनुसार ‘ रघुबर दाग़ को मोदी डिटर्जेंट और साह लॉंड्री भी नहीं साफ़ कर पायेगी ‘ ।दास को उन्होंने पहले ही कह दिया है कि भविष्य में उनके कारण जेल जाने वाले चौथे पूर्व मुख्य मंत्री होंगे । pic.twitter.com/KDtZeMZIEv
— manish (@manishndtv) November 18, 2019
इस बयान से राय ने केंद्रीय नेतृत्व को भी अपने निशाने पर रखा है. दरअसल उनका मानना है कि उनका टिकट काटने में जहां अमित शाह ने सक्रिय भूमिका निभायी और उनकी नीतीश कुमार से दोस्ती को भी एक मुद्दा बनाया वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने पिछले चुनाव में जमशेदपुर के एक चुनावी सभा में सरयू राय को अपना दोस्त बताया था, उन्होंने इन लोगों के सामने कुछ नहीं किया.
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राय इस बात से ख़फ़ा हैं कि जब भी उन्होंने बिहार या झारखंड में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज उठाई और घोटालों का पर्दाफ़ाश किया तो भाजपा को इसका जबरदस्त लाभ मिला लेकिन इसके बावजूद जहां उन्हें टिकट से बेदख़ल किया गया वहीं भ्रष्टाचार के आरोपी भानु प्रताप शाही जैसे व्यक्ति को न केवल में शामिल कराया गया बल्कि उन्हें तुरंत टिकट भी दे दिया गया. ख़ुद रघुवर दास ने शाही के विधानसभा क्षेत्र से ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की.
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हालांकि दास समर्थक अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं वहीं राय के नामांकन में लोगों की बड़ी संख्या में उपस्थिति चिंता का कारण ज़रूर है. उनका मानना है कि दास के खिलाफ पार्टी का एक तबक़ा भीतरघात भी कर सकता है.
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