राफेल विमान सौदे पर सरकार और विपक्ष पिछले कुछ महीने से आमने-सामने है. एक ओर जहां विपक्ष इसे चुनाव में मुद्दा बनाकर भुनाने की कोशिशों में लगा है, वहीं सरकार राफेल के आरोपों से इनकार कर रही है. मगर अब राफेल को लेकर सूचना के अधिकार के तहत एक नई बात सामने आई है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने विवादित राफेल विमान करार के अपने अंकेक्षण का ब्योरा देने से इनकार कर दिया है. सीएजी ने कहा कि राफेल करार के अंकेक्षण की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और अभी कोई खुलासा करने से संसद के विशेषाधिकार का हनन होगा. पुणे में रहने वाले कार्यकर्ता विहार दुर्वे की ओर से सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दायर एक अर्जी पर अपने जवाब में सीएजी ने यह जानकारी दी.
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देश के अंकेक्षक ने कहा, ‘अंकेक्षण में प्रगति हो रही है और रिपोर्ट को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है. यह सूचना आरटीआई कानून की धारा 8(1)(सी) के तहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि ऐसा करना संसद के विशेषाधिकार का हनन होगा.' पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने उन अर्जियों को खारिज कर दिया था जिनमें 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच हुए करार को चुनौती दी गई थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस मामले में फैसला लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है.
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अर्जियों में मांग की गई थी कि 58,000 करोड़ रुपए के करार में हुई कथित अनियमितता की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज की जाए और मामले की छानबीन अदालत की निगरानी में कराई जाए. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल जेट्स की खरीद को लेकर हुई डील को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
दरअसलस, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार पीएम मोदी पर राफेल में घोटाला का आरोप लगा रहे हैं. राहुल गांधी संसद से लेकर रैलियों में लगातार मोदी सरकार को राफेल पर घेरते नजर आते रहे हैं. राहुल ने संसद के शीतकालीन सत्र में पीएम मोदी को 20 मिनट तक राफेल पर बहस की चुनौती दी थी.
(इनपुट भाषा से)
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