केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री ने बताया- यूपीए की तुलना में कितने दाम में राफेल खरीद रही मोदी सरकार

रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा, ‘‘संप्रग सरकार के दौरान राफेल सौदे में विमान की जो कीमत देने का निर्णय किया गया था, हमारी कीमत उससे नौ फीसदी कम है.

केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री ने बताया- यूपीए की तुलना में कितने दाम में राफेल खरीद रही मोदी सरकार

फाइल फोटो.

नई दिल्ली:

केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने राफेल डील को लेकर उठ रहे सवालों पर जवाब दिया. गुरुवार को उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित में राफेल सौदे के संबंध में जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है . ‘‘इसलिए अगर हम इन अतिरिक्त चीजों के बारे में मीडिया को खुलासा करते हैं तो सीमा पार हमारे दुश्मनों को इसकी जानकारी के लिए अपने जासूस तैनात करने की जरूरत नहीं होगी और यही कारण है कि राष्ट्रीय हित में इससे जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही है.’’    

कांग्रेस ने गुरूवार को कैग से आग्रह किया कि वह 60,150 करोड़ रूपये के राफेल लड़ाकू विमान सौदे का फोरेंसिक लेखा परीक्षा करे और सभी ‘‘तथ्यों’’ को सार्वजनिक करे ताकि संसद इस कथित घोटाले में जिम्मेदारी तय कर सके.मंत्री ने कहा, ‘‘संप्रग सरकार के दौरान राफेल सौदे में विमान की जो कीमत देने का निर्णय किया गया था, हमारी कीमत उससे नौ फीसदी कम है. जब हम अद्धनिर्मित विमान की खरीदारी करते हैं तो यह केवल परिवहन के लिए होता है लेकिन इसे एक शक्तिशाली वायु रक्षा विमान में बदलने के लिए इसमें कई चीजें जोड़ने की जरूरत होती हैं.’’भामरे ने संवाददाताओं को बताया.

राफेल डील पर क्या बोले वायुसेना प्रमुख

दिल्ली में बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ से पूछा गया कि क्या भारतीय वायुसेना को इस बात की सूचना दी गई थी कि राफेल सौदे में खरीदे जाने वाले विमानों की संख्या 126 से बदलकर 36 की जा रही है. इसके जवाब में एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा, 'उचित स्तर पर भारतीय वायुसेना से परामर्श किया गया था. भारतीय वायुसेना ने कुछ विकल्प दिए थे. उनमें से चुनाव करना सरकार का काम है.' उन्‍होंने कहा कि दसॉल्ट को ऑफसेट साझेदार का चयन करना था और इसमें सरकार, भारतीय वायु सेना की कोई भूमिका नहीं थी. 

भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा कि जो कॉन्ट्रैक्ट HAL को पहले से दिए गए हैं, उनके डिलीवरी शेड्यूल में देरी रही है. सुखोई-30 की डिलीवरी में तीन साल की देरी है. जगुआर में छह साल की देरी है. LCA में पांच साल की देरी है. मिराज 2000 अपग्रेड की डिलीवरी में दो साल की देरी है.


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