2012 में राजीव गांधी जीवनदायी आरोग्य योजना लागू हुई थी
गरीब तबके के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के मकसद से महाराष्ट्र में 2012 में लागू हुई राजीव गांधी जीवनदायी आरोग्य योजना अब सवालों के घेरे में है। अब उन प्राइवेट अस्पतालों पर धांधली के आरोप लग रहे हैं जिन्हें राज्य के 35 जिलों में शुरू की गई योजना में शामिल किया गया था।
दरअसल, महाराष्ट्र के करीब 500 अस्पताल इस योजना में पंजीकृत हैं और इस योजना के चलते उनका क्लाइंट बेस कई गुणा बढ़ गया है। इसके बावजूद कई अस्पताल इस योजना के मरीजों का अपनी सहूलियत के हिसाब से इलाज करते हैं। इसके अलावा प्राइवेट तौर पर आने वाले मरीज़ों के इलाज को तवज्जो दी जाती है और कई मामलों में तो कैशलेस स्कीम होने के बावजूद मरीजों से पैसे लिए जाते हैं।
राजीव गांधी जीवनदायी आरोग्य योजना के सीईओ पीयूष सिंह का कहना है कि तीन साल में अब तक छह लाख 40 हज़ार लोगों का इलाज योजना के अंतर्गत हुआ है। इनमें से करीब 6,500 शिकायतें आई हैं जिनमें से 85 फीसदी मनी चार्जिंग की हैं। यह योजना वैसे तो 2.5 करोड़ परिवारों को कवर करती है लेकिन पिछले तीन सालों में इसका फायदा करीब साढ़े छह लाख लोगों को ही हुआ है। इस तरह सिर्फ तीन साल में ही इस तरह बढ़ती शिकायतें योजना पर सवाल खड़े कर रही हैं।