विजय माल्या के मामले में सीबीआई की सुस्ती का एक नया मामला सामने आया

विजय माल्या के मामले में सीबीआई की सुस्ती का एक नया मामला सामने आया

विजय माल्या (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

विजय माल्या के मामले में सीबीआई ने ढिलाई की, इसके कुछ और सबूत अब सामने आए हैं। एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक विदेशी अदालतों में लेटर रोगेटरी भेजने का सुझाव कई महीने पहले आया था, लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं हुआ है।

आइडीबीआई बैंक से मिले 900 करोड़ के कर्ज़ का एक हिस्सा विजय माल्या विदेश ले गए हैं, सीबीआई के पास ये जानकारी जुलाई 2015 में ही थी। 28 जुलाई 2015 को सीबीआई के जांच अधिकारी ने सुझाव दिया था कि इसके लिए अब विदेशों में जांच ज़रूरी है जिसके लिए लेटर रोगेरटी जारी की जाए। लेटर रोगेटरी के ज़रिए विदेशी कोर्ट में किसी मामले की जांच के लिए सहयोगा मांगा जाता है।

सीबीआई की जांच पर सबसे अहम सवाल ये उठ रहा है कि जब उसे पिछले साल जुलाई में ही इस बात की जानकारी थी कि लोन का एक हिस्सा विदेश ट्रांसफर किया गया है तो फिर क्या उसने माल्या से पूछताछ की थी और क्यों लेटर रोगेटरी आज तक जारी नहीं की गयी? सीबीआई के पूर्व निदेशक, जोगिंदर सिंह ने एनडीटीवी से कहा, "सीबीआई ने इस मामले में सिर्फ देरी ही नहीं की...उसे माल्‍या से इस बारे में पूछताछ भी करना चाहिये थी। क्या विदेश पैसा भेजने के लिए वित्त मंत्रालय...आईबीआई से अनुमति ली गयी थी"?

सीबीआई अब FIR दर्ज़ होने के करीब आठ महीने बाद लेटर रोगेटरी भेजने की तैयारी कर रही है। लेकिन 28 जुलाई 2015 की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में ही कहा गया था कि IDBI ने किंगफ़िशर एयरलाइंस को 2009 में जो 900 करोड़ रुपए का लोन दिया था उसमें से 169.62 करोड़ Axis बैंक में जमा किया गया और इसका एक बड़ा हिस्सा विदेश ले जाया गया। और इस मामले की अब विदेशों में जांच की ज़रूरत होगी और इसके लिए लेटर रोगेटरी भेजना ज़रूरी होगा।

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लेकिन जब माल्या इस 2 मार्च को विदेश चले गए, तब सीबीआई जांच कर रही है कि ये पैसा विदेश क्यों गया। जोगिंदर सिंह कहते हैं कि इस मामले के कई अनसुलझे सवाल हैं और इसमें इसमें बैंकरों की भूमिका की जांच भी होनी चाहिये। अब देखना अहम होगा कि सीबीआई आने वाले दिनों में इन सवालों से कैसे निपटती है।