पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे, आरएसएस के हैं बेहद करीबी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने संवैधानिक संकट के चलते राज्यपाल को इस्तीफा दे दिया था, देहरादून में बीजेपी विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी को नया नेता चुनाव गया

खास बातें

  • पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं क्षेत्र के खटीमा से विधायक हैं
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं धामी
  • पूर्व सीएम भगत सिंह कोशियारी के ओएसडी रहे हैं
नई दिल्ली:

पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे. पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं क्षेत्र के खटीमा विधानसभा क्षेत्र के दो बार के विधायक हैं. वे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं. धामी पूर्व सीएम भगत सिंह कोशियारी के ओएसडी रहे हैं. धामी की संघ से भी नजदीकियां हैं. पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पुष्कर सिंह धामी के नाम का ऐलान किया. उनका उन्होंने माला पहनाकर स्वागत किया. संवैधानिक संकट के चलते तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा है. उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण रविवार, यानी कल शाम को 5:00 बजे होगा. उत्तराखंड के राजभवन ने इसकी पुष्टि की है.

उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई. सीएम तीरथ सिंह रावत (Uttarakhand CM Tirath Singh Rawat) ने शुक्रवार को नाटकीय घटनाक्रम में इस्तीफा दे दिया था. नए नेता के चुनाव के लिए देहरादून में बीजेपी पार्टी दफ्तर में विधायक दल की बैठक हुई. इसमें नए नेता के रूप में पुष्कर सिंह धामी का चुनाव हुआ. हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए सतपाल महाराज, धनखड़ सिंह, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे कई नेता दावेदार बताए जा रहे थे. 

बीजेपी ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और बीजेपी महासचिव डी पुरंदेश्वरी को पर्यवेक्षक बनाया था. इनके साथ प्रभारी दुष्यंत गौतम और सह प्रभारी रेखा वर्मा भी बैठक में मौजूद रहीं. 

नए नेता के चुनाव से पहले उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि नए नेता का चुनाव करने के बाद हम सरकार गठन के लिए राज्यपाल से मिलेंगे. कौशिक ने कहा कि चुनाव आयोग को उपचुनाव कराने में कोई समस्या नहीं थी, लेकिन COVID के कारण, यह अमल में नहीं आ सका. ऐसे में इस्तीफा ही एकमात्र विकल्प बचा था. कौशिक ने कहा, "हम राष्ट्रीय पार्टी हैं. जब चुनाव में जाते हैं तो अगले 5 साल के लिए घोषणा पत्र जारी करते हैं और बताते हैं कि हम इन पर काम करेंगे. ऐसे में मुख्यमंत्री कोई भी हो वह काम जारी रहेगा." 

तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री के पद पर चार महीने ही रहे. तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार की शाम को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को इस्तीफा दे दिया था. देर रात में उन्होंने औपचारिक तौर पर राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया. रावत ने शुक्रवार की सुबह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. उन्होंने संवैधानिक संकट के चलते इस्तीफा दिया है. देहरादून में उत्तराखंड में 70 सीटों की विधानसभा में बीजेपी के 57 विधायक हैं. इसमें से एक सीट गंगोत्री की BJP की खाली है. 

उत्तराखंड के CM तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री के पद पर चार महीने ही रहे. शुक्रवार को दिन भर कयास लगाए जाते रहे थे कि उत्तराखंड के मुख्‍यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस्तीफा दे सकते हैं. उन्‍होंने राज्यपाल से मुलाकात के लिए समय भी मांगा था. दिल्ली में तीन दिन तक डेरा जमाए रहे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्‍तीफे की अटकलें उस समय जोर पकड़ने लगी थीं जब उन्‍होंने शुक्रवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर जाकर मुलाक़ात की थी. बीते तीन दिनों में दोनों नेताओं की यह दूसरी मुलाक़ात थी. इस मुलाकात के बाद यह चर्चा होने लगी  कि कहीं यह उत्तराखंड में फिर से सत्ता परिवर्तन की आहट तो नहीं है?

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तीरथ सिंह रावत तीन दिन तक दिल्ली में थे. हालांकि जिस दिन वह आए उसी रात उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात हो गई थी. अगले दिन उन्हें देहरादून वापस जाना था. लेकिन अचानक वापसी का कार्यक्रम टल गया जिसके बाद से उनको बदले जाने की चर्चाओं ने तेजी पकड़ ली.

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तीरथ सिंह रावत को संवैधानिक संकट के चलते पद छोड़ना पड़ रहा है. रावत ने इसी साल मार्च में उत्तराखंड के मुख्‍यमंत्री का पद संभाला था. उनको सीएम पद से इसलिए हटना पड़ रहा है क्‍योंकि मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के छह महीने के अंदर यानी 10 सितंबर तक उनका विधायक बनना ज़रूरी है. उत्तराखंड की दो सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं लेकिन कोरोना महामारी को लेकर फ़िलहाल उपचुनाव पर चुनाव आयोग की रोक है. ऐसे में उपचुनाव को लेकर स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं है. बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद उत्तराखंड में उपचुनाव को लेकर सवाल पर तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि उप चुनाव का विषय चुनाव आयोग का है. चुनाव आयोग जब भी निर्णय लेगा, उपचुनाव होंगे. चुनाव आयोग जो भी फैसला करेगा, वह स्वीकार होगा.