सुप्रीम कोर्ट से पंजाब, हरियाणा, केरल, पश्चिम बंगाल और बिहार सरकार को झटका लगा है. कोर्ट ने राज्यों में डीजीपी नियुक्त करने के नियम में बदलाव करने से इनकार कर दिया है. राज्यों की याचिका खारिज कर दी गई है. इन राज्यों ने याचिका दी थी कि डीजीपी की नियुक्ति के लिए चयन पर स्टेट इंटरनल कमेटी को इजाजत दी जाए. नियम के मुताबिक यह सूची UPSC देता है.
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक के चयन और दो साल के न्यूनतम तय कार्यकाल के संबंध में अपने पिछले आदेश में बदलाव की मांग को लेकर पांच राज्यों की याचिकाओं को बुधवार को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि 2006 के फैसले की मंशा पुलिस तंत्र को राजनीतिक और कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त करना था. पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, केरल और बिहार ने 2006 के फैसले और इसके बाद तीन जुलाई 2018 के आदेश में बदलाव की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था. राज्यों का कहना था कि उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप पुलिस प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में पहले ही विस्तृत कानून तैयार कर लिया है. इसलिए उन्हें अपने कानून पर अमल करने की अनुमति दी जाए.
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि डीजीपी के चयन और तय कार्यकाल के संबंध में अदालत की व्यवस्था पुलिस तंत्र को राजनीतिक/कार्यपालिका के दखल से बचाना चाहती थी, निर्देश बिल्कुल ठीक थे और इसका क्रियान्वयन जनहित में सहायक होगा. पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एसके कौल भी थे.
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डीजीपी के चयन और कार्यकाल पर सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में निर्देश दिया था कि राज्य सरकार को तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से पुलिस प्रमुख का चयन करना चाहिए. न्यायालय ने कहा था कि राज्यों को पुलिस प्रमुख के सेवानिवृत्त होने से कम से कम तीन महीने पहले नए पुलिस प्रमुख के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों की सूची संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजनी होगी. इसके बाद आयोग अपनी सूची तैयार करके राज्यों को सूचित करेगा जो उस सूची में से किसी एक अधिकारी को पुलिस प्रमुख नियुक्त करेगा.
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शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश के संबंध में यूपीएससी सचिव राकेश कुमार गुप्ता न्यायालय के सामने पेश हुए. मौजूद चलन का संज्ञान लेते हुए अदालत ने कहा उसकी राय को मजबूती मिली है कि निर्देश में किसी तरह के सुधार या बदलाव की कोई जरूरत नहीं है.
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