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This Article is From Nov 17, 2021

Delhi-NCR Pollution: पराली जलाने को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया ये जवाब

वहीं प्रदूषण के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है.  केंद्र ने कहा कि कोविड के चलते पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है. वर्क फ्राम होम से ज्यादा फायदा नहीं होगा.

पराली जलाने को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया ये जवाब

नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण (Delhi-NCR Pollution) पंजाब सरकार ने SC में अपना जवाब दाखिल किया है. पंजाब सरकार ने कहा है कि पराली जलाने के मामले में केंद्र से वित्तीय सहायता की जरूरत है. पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं, लेकिन आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए केंद्र से आर्थिक मदद की जरूरत है. इसके लिए केंद्र से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक ₹100/क्विंटल मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

केंद्र अपने कर्मचारियों के वर्क फ्रॉम होम के पक्ष में नहीं

वहीं प्रदूषण के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है.  केंद्र ने कहा कि कोविड के चलते पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है. वर्क फ्राम होम से ज्यादा फायदा नहीं होगा. केंद्र ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है.  केंद्र की ओर से कहा गया है कि वर्क फ्रॉम होम से ज्यादा प्रभाव नहीं होगा, इसलिए केंद्र ने अपने कर्मचारियों को कार पूल करने की एडवाइजरी जारी की है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के कर्मियों के WFH करने पर विचार करने को कहा था. केंद्र ने कहा है कि उन्होंने उपरोक्त के अलावा ऑनलाइन मोड यानी "वर्क फ्रॉम होम" के तहत काम करने की संभावना पर भी विचार किया है.  हलफनामे के मुताबिक- हाल के दिनों में कोविड -19 महामारी के कारण कई सरकारी कार्य काफी लंबे समय तक प्रभावित हुए थे, जिसका अखिल भारतीय प्रभाव पड़ा है. केंद्र सरकार ने इस प्रकार NCR में केंद्र सरकार के व्यवसाय के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहनों की संख्या पर विचार किया. उक्त संख्या बहुत महत्वपूर्ण नहीं है. केंद्र सरकार ने निर्णय लिया कि कोविड -19 महामारी के बाद केंद्र सरकार के कार्यालयों के कामकाज के हालिया सामान्यीकरण के बाद वर्क फ्रॉम होम निर्देश न पास करने का लाभ वर्क फ्रॉम होम  से प्राप्त होने वाले लाभों से अधिक होगा, जो कि सड़क पर केवल केंद्र सरकार के वाहनों की कम संख्या तक सीमित होगा. 

दिल्ली-एनसीआर में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध के मामले को लेकर मजदूर संघ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

प्रदूषण को लेकर दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR Pollution) में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध पर मजदूर संघ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. मजदूरों के लिए काम बंद होने पर मुआवजे की मांग की गई है. उनकी ओर से कहा गया है कि निर्माण गतिविधियों पर ब्लेंकेट बैन लगाना उचित नहीं है. गैर प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियों को मिले इजाजत मिलनी चाहिए. निर्माण पर अचानक पूर्ण प्रतिबंध लगाने से गंभीर वित्तीय नुकसान और उत्पीड़न होता है.दिल्ली और हरियाणा सरकार भवन निर्माण श्रमिकों के लिए काम बंद होने के दिनों में अनुग्रह राहत योजनाएं तैयार करें . प्रतिबंध लगाने से पहले 15 दिन का नोटिस दें.  मजदूरों ने सुप्रीम कोर्ट में  दिल्ली- एनसीआर प्रदूषण मामले में पक्षकार बनाने की मांग की है. दरअसल याचिका में कहा गया है कि गैर-प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियों जैसे प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, बढ़ई, पेंटर, वेल्डर, घिसाई मिस्त्री, राज मिस्त्री आदि पर प्रतिबंध हटा दिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली और हरियाणा सरकार को निर्देश देना चाहिए कि वह प्रतिबंध को केवल तोड़फोड़ और खुदाई कार्यों तक ही सीमित रखें. निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध के लिए कम से कम 15 दिन पहले पर्याप्त पूर्व सूचना और प्रचार होना चाहिए.

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