पंजाब के मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान, 'रद्द किए जाएंगे पराली जलाने वाले किसानों पर दर्ज केस'

राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सदस्य ने समाचार एजेंसी को बताया कि पंजाब में इस सीजन में 67,000 से अधिक खेत में आग लगाई गई है. 

चंडीगढ़:

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) ने बुधवार को कहा कि पराली (Stubble Fire) जलाने वाले या कृषि अपशिष्ट जलाने वाले किसानों के खिलाफ सभी पुलिस मामले रद्द कर दिए जाएंगे. फैसला पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले आया है. माना जा रहा है कि कृषि कानून और पराली जलाने के मामलों के बाद किसान चुनावों में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे. मुख्यमंत्री चन्नी ने यह भी कहा कि इस तरह के विरोध के दौरान दर्ज मामलों को भी हटाया जाएगा. यह फैसला किसानों संग बैठक के बाद लिया गया है.

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि किसान पराली जलाना बंद करें. सरकार सख्त कार्रवाई करेगी. लेकिन हम अब तक पराली जलाने के लिए दर्ज सभी केस रद्द कर रहे हैं. मैं किसानों से पराली नहीं जलाने की अपील कर रहा हूं. केंद्र को यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसान पराली न जलाएं. 

फाइव स्टार होटल के AC में बैठकर किसानों को दोष देना आसान है - प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आंदोलन के शुरू होने के बाद से राज्य सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. हमने कृषि आंदोलन से संबंधित सभी प्राथमिकी रद्द करने का फैसला किया है. 

राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सदस्य ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि पंजाब में इस सीजन में 67,000 से अधिक खेत में आग लगाई गई है. 

गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को फटकार लगाई है. वहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप होते रहे. खेतों में जल रही पराली को भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार माना गया है. वातावरण में PM2.5 का स्तर दिवाली के बाद से काफी ऊपर है जो फेफड़ों के कैंसर जैसे हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं.

मौसम एजेंसी SAFAR के मुताबिक बुधवार को दिल्ली एनसीआर में खेत की आग से होने वाले प्रदूषण का हिस्सा घटकर छह प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गया. लेकिन यह पिछले हफ्ते 35 फीसदी और दिवाली के बाद 48 फीसदी के उच्च स्तर से था. 

पराली जलाने को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया ये जवाब

इस सप्ताह शीर्ष अदालत में खेत में आग के आंकड़ों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी रहा, जिसमें दिल्ली सरकार के इस दावे का खंडन करते हुए कि हर साल राष्ट्रीय राजधानी को घेरने वाली जहरीली हवा के लिए किसान जिम्मेदार हैं,  केंद्र ने कहा कि केवल 10 प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने के कारण होता है. 

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अदालत ने संख्या और जिम्मेदारी सौंपने की हड़बड़ी से ध्यान हटाते हुए किसानों की पराली जलाने की समस्या का समाधान करने की आवश्यकता पर जोर दिया. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सरकारों से एक सप्ताह तक किसानों को पराली न जलाने देने का अनुरोध करने और के लिए निर्देश दिए.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि पराली जलाने के विकल्प के रूप में केंद्र और राज्य द्वारा दी जाने वाली फैंसी मशीनरी छोटे और सीमांत किसानों की वित्तीय पहुंच से काफी दूर हैं. हलफनामों में आंकड़ों के बावजूद, हमें किसानों की दुर्दशा पर विचार करना होगा. उन्हें पराली जलाने के लिए क्या मजबूर करता है? किसी को इसकी चिंता नहीं है. दिल्ली में एसी में पांच सितारा होटलों में सो रहे लोग किसानों को दोष देते हैं. 

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किसान नहीं कार और कारखाना वाले फैला रहे हैं हवा में ज़हर

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा संपर्क किए गए किसानों ने इन मशीनों के उपयोग से इनकार कर दिया है, जिसे वे "व्यवहार्य नहीं" कहते हैं और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बोनस की मांग की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार को कई कुछ सुझाव दिए हैं. इनमें स्कूल-कॉलेज बंद करना और सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहना, साथ ही 11 में से छह थर्मल पावर प्लांट को बंद करना और ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना शामिल है. वहीं निजी फर्मों को भी WFH ऑर्डर जारी करने के लिए भी सुझाव दिया गया है.