पुणे:
पुणे की एक अदालत ने एक महिला बीपीओ कर्मचारी की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में दो अपराधियों को मौत की सजा सुनाई है। इनमें से एक उस कैब का ड्राइवर था, जो पीड़िता को लेने घर पर गई थी और दूसरा उसका दोस्त था, जिसे उसने रास्ते से गाड़ी में बिठाया था।
एक नवंबर, 2007 में 22 वर्ष की ज्योति चौधरी को रात की शिफ्ट के लिए करीब 10.00 बजे कैब के ड्राइवर पुरुषोत्तम बोराटे ने उसके घर से गाड़ी में बिठाया और थोड़ी दूर जाने के बाद अपने मित्र प्रदीप कोकाटे को भी गाड़ी में बिठाकर गाड़ी सुनसान जगह ले जाकर उस लड़की से बारी बारी से बलात्कार करने के बाद दोनों ने निर्मम हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि ज्योति अपने मित्र से फोन पर बात कर रही थी, जिसकी वजह से उसने ड्राइवर की और उसके मित्र की गलत मंशा पर शक नहीं किया और वह गाड़ी दूसरे रास्ते पर ले जा सके।
इतना ही नहीं, जब दोनों ने गाड़ी रोकी, तब उसे शक हुआ और उसने इस बात का विरोध भी किया। करीब 11.00 बजे जब उसने ड्राइवर और उसके मित्र की हरकत का विरोध किया, तब फोन पर मौजूद ज्योति के ब्वॉयफ्रेंड ने यह सारी बातें सुनीं और उसके बाद फोन अनरीचेबल आने लगा।
अगले दिन ज्योति का खून में लथपथ शव पुणे के बाहरी इलाके में स्थित गहुंजे गांव में पाया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी बलात्कार के बाद गला दबाकर हत्या की बात सामने आई।
कोर्ट में सजा सुनाते वक्त जज ने बार-बार ज्योति की हत्या करने में बरती गई निर्ममता का ज़िक्र किया। जज का कहना था, ड्राइवर की हवस ने उसे बलात्कार और हत्या करने पर मजबूर किया।
वहीं, सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अपराधियों को सर्वाधिक सजा की याचना करते हुए कोर्ट को बताया कि बलात्कार करने के बाद दोनों ने पहले ज्योति दाहिने हाथ की नसें काट दी, फिर उसी की चुन्नी से उसका गला गोंट दिया। इसके बाद भी एक बड़े पत्थर से उसके सिर पर जोरदार वार किया। इतना ही नहीं, रेप और हत्या करने के बाद और पकड़े जाने के बाद भी दोनों को किसी भी बात का कोई अफसोस नहीं था।
वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने दोनों के साथ सजा सुनाने में थोड़ी दया दिखाने की अपील की। गौरतलब है कि कोर्ट ने दोनों अपराधियों को शनिवार को ही दोषी करार दिया था और सजा आज सुनाई है।
बता दें कि इस केस के बाद पूरे देश में रात में बीपीओ में काम करने वाली लड़कियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कंपनियों को कड़े कदम उठाने की हिदायत दी थी। इसी केस के बाद रात में नौकरी पर जाने वाली गाड़ियों में गार्ड रखने के व्यवस्था की गई। उल्लेखनीय है कि ज्योति मूल रूप से यूपी के गोरखपुर की रहने वाली थी। पुणे में अपनी बहन और जीजा के घर पर रह रही थी। पुणे विश्वविद्यालय से ज्योति ने बीएससी की डिग्री हासिल की थी और दिसंबर, 2006 से कॉल सेंटर में बतौर एसोसिएट नौकरी आरंभ की थी।
एक नवंबर, 2007 में 22 वर्ष की ज्योति चौधरी को रात की शिफ्ट के लिए करीब 10.00 बजे कैब के ड्राइवर पुरुषोत्तम बोराटे ने उसके घर से गाड़ी में बिठाया और थोड़ी दूर जाने के बाद अपने मित्र प्रदीप कोकाटे को भी गाड़ी में बिठाकर गाड़ी सुनसान जगह ले जाकर उस लड़की से बारी बारी से बलात्कार करने के बाद दोनों ने निर्मम हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि ज्योति अपने मित्र से फोन पर बात कर रही थी, जिसकी वजह से उसने ड्राइवर की और उसके मित्र की गलत मंशा पर शक नहीं किया और वह गाड़ी दूसरे रास्ते पर ले जा सके।
इतना ही नहीं, जब दोनों ने गाड़ी रोकी, तब उसे शक हुआ और उसने इस बात का विरोध भी किया। करीब 11.00 बजे जब उसने ड्राइवर और उसके मित्र की हरकत का विरोध किया, तब फोन पर मौजूद ज्योति के ब्वॉयफ्रेंड ने यह सारी बातें सुनीं और उसके बाद फोन अनरीचेबल आने लगा।
अगले दिन ज्योति का खून में लथपथ शव पुणे के बाहरी इलाके में स्थित गहुंजे गांव में पाया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी बलात्कार के बाद गला दबाकर हत्या की बात सामने आई।
कोर्ट में सजा सुनाते वक्त जज ने बार-बार ज्योति की हत्या करने में बरती गई निर्ममता का ज़िक्र किया। जज का कहना था, ड्राइवर की हवस ने उसे बलात्कार और हत्या करने पर मजबूर किया।
वहीं, सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अपराधियों को सर्वाधिक सजा की याचना करते हुए कोर्ट को बताया कि बलात्कार करने के बाद दोनों ने पहले ज्योति दाहिने हाथ की नसें काट दी, फिर उसी की चुन्नी से उसका गला गोंट दिया। इसके बाद भी एक बड़े पत्थर से उसके सिर पर जोरदार वार किया। इतना ही नहीं, रेप और हत्या करने के बाद और पकड़े जाने के बाद भी दोनों को किसी भी बात का कोई अफसोस नहीं था।
वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने दोनों के साथ सजा सुनाने में थोड़ी दया दिखाने की अपील की। गौरतलब है कि कोर्ट ने दोनों अपराधियों को शनिवार को ही दोषी करार दिया था और सजा आज सुनाई है।
बता दें कि इस केस के बाद पूरे देश में रात में बीपीओ में काम करने वाली लड़कियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कंपनियों को कड़े कदम उठाने की हिदायत दी थी। इसी केस के बाद रात में नौकरी पर जाने वाली गाड़ियों में गार्ड रखने के व्यवस्था की गई। उल्लेखनीय है कि ज्योति मूल रूप से यूपी के गोरखपुर की रहने वाली थी। पुणे में अपनी बहन और जीजा के घर पर रह रही थी। पुणे विश्वविद्यालय से ज्योति ने बीएससी की डिग्री हासिल की थी और दिसंबर, 2006 से कॉल सेंटर में बतौर एसोसिएट नौकरी आरंभ की थी।
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