14 फरवरी, 2019 का दिन इतिहास में जम्मू कश्मीर की एक दुखद घटना के साथ दर्ज है. दो बरस बीत चुके हैं लेकिन पुलवामा हमले के जख्म आज भी हरे हैं. आतंकवादियों ने इस दिन को देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमले के लिए चुना था. राज्य के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी थी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे और कई गंभीर रूप से घायल हुए थे.
जांच में पता चला कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के आकाओं ने रची थी लेकिन सीआरपीएफ के बस को निशाना बनाने का आइडिया काकापोरा के एक दुकानदार का था. NIA ने पुलवामा आतंकी हमले के मामले में 13500 पेज की चार्जशीट फाइल की है, जिसमें इस दुकानदार का नाम शाकिर बशीर मागरे बताया गया है. चार्जशीट में कुल 19 आरोपियों के नाम हैं, जिनमें 6 मारे जा चुके हैं. 13 जीवित आरोपियों में सबसे ऊपर जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर और उसके दो भाइयों- रऊफ असगर मसूद और मौलाना अम्मार अली के नाम भी हैं. अमेरिकी एजेंसी FBI ने भी इस हमले के सबूत जुटाने में मदद की थी.
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आरोपियों में 22 साल का शाकिर जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर लेथपोरा पुल के नजदीक फर्नीचर की दुकान चलाता था और आतंकी हमले का सबसे अहम स्थानीय लिंक था. पुलवामा हमले में आतंकियों ने विस्फोटक से भरी कार सीआरपीएफ के काफिले में चल रही बस से टकरा दी थी, जिससे हुए धमाके में बस में सवार सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
NIA ने शाकिर को गिरफ्तार कर लिया था. NIA की चार्जशीट के मुताबिक, जैश ए मोहम्मद चीफ मसूद अजहर के भतीजे उस्मान हैदर को कश्मीर में अक्टूबर 2018 में एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया था. इसके बाद मसूद अजहर के दूसरे भतीजे मोहम्मद उमर को सुरक्षा बलों पर हमले की जिम्मेदारी दी गई थी. चार्जशीट के मुताबिक मोहम्मद उमर और उसके सहयोगियों ने एक कार धमाका की योजना बनायी थी लेकिन कहां इसे अंजाम दिया जाए, इस पर चर्चा हो रही थी. उसी में शाकिर ने हाईवे पर से गुजरने वाले सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाने का सुझाव दिया था. उसकी दुकान हाईवे के किनारे थी, इसलिए वह सुरक्षाबलों की आवाजाही पर नजर रखता था.
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NIA की चार्जशीट के मुताबिक, शाकिर ने ही हाईवे के एक मोड़ और ढलान पर हमले की सलाह दी थी. शाकिर के ही घर पर आईईडी भी इकट्ठा किया गया था और विस्फोटक लदी कार हाईवे तक वही ड्राइव कर ले गया था. इतना ही नहीं शाकिर ने मोहम्मद उमर और उसके सहयोगियों को अपने घर पर कई बार ठहराया था.
इस हमले के बाद भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के बालाकोट (Balakot) में आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया था. पाकिस्तान को सबक सिखाने वाली इस कार्रवाई के बाद कश्मीर में पाकिस्तान की दखल पूरी तरह रोकने, अलगाववाद पर काबू पाने और आतंक की जड़ों पर प्रहार करने के लिए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए आर्टिकल 370 (Article 370) के अधिकतर प्रावधान समाप्त कर दिए थे. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में भी बांट दिया.
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