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This Article is From Apr 14, 2021

कर्नाटक में कोरोना से बचाव का प्रोटोकाल सिर्फ कागज तक सीमित, मंत्रियों को नहीं परवाह

कर्नाटक में मुख्यमंत्री से लेकर उनकी कैबिनेट के दूसरे मंत्री खुलेआम मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को नज़रंदाज़ करते दिख रहे

कर्नाटक में कोरोना से बचाव का प्रोटोकाल सिर्फ कागज तक सीमित, मंत्रियों को नहीं परवाह
कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा (फाइल फोटो).
बेंगलुरु:

Karnataka Coronavirus: कर्नाटक, और खास तौर पर बेंगलुरु में लॉकडाउन जैसे हालात तेज़ी से बन रहे हैं लेकिन इसके बावजूद मुख्यमंत्री से लेकर उनकी कैबिनेट के दूसरे मंत्री खुलेआम मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को नज़रंदाज़ करते दिख रहे हैं. इनकी लापरवाही से आम लोग भी बेखौफ होकर रैली निकाल रहे हैं वह भी तब जब इस पर बेंगलुरु में प्रतिबंध है. कोरोना वायरस संक्रमण के 10 हज़ार के आसपास नए मामले कर्नाटक में रोजाना आने लगे हैं. इनमें से 75 फीसदी सिर्फ बेंगलुरु से होते हैं.

अम्बेडकर जयंती के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और उनके कबीना के समाज कल्याण मंत्री श्री रामलु ने मास्क नहीं लगाए थे और सोशल डिस्टेंसिंग की भी उन्हें परवाह नहीं थी. जब मंत्री और अधिकारी खुद नियमों की धज्जियां उड़ाएंगे तो प्रतिबंध के बावजूद ऐसी रैलियों को कौन रोकेगा? 

इसी तरह चार अन्य एक मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कोविड प्रोटोकाल की अनदेखी करते हुए दिखे. अब इनका चालान कौन काटेगा? हालांकि सिर्फ बेंगलुरु में 10 दिनों के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और मास्क न पहनने पर तकरीबन एक करोड़ रुपये का जुर्माना एजेंसियों ने वसूला है.

बेंगलुरु से दूर बेल्लारी के थेक्कल-कोटे गांव में काडु-सिद्धेश्वर मंदिर के वार्षिक उत्सव में भीड़ को तितरबितर करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा. और इसी राज्य के विजयपुरा की एक तस्वीर में उपचुनाव की रैली में भीड़ उमड़ती दिखाई दी. नेता और अधिकारी जब कोरोना प्रोटोकोल की खुलकर धज्जियां उड़ाते हैं तो आम लोग इससे लापरवाह होते हैं और फिर इस तरह की तस्वीर देखने को मिलती है. 

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