नई दिल्ली:
संसद में एफडीआई की बहस के मुद्दे पर गतिरोध भले ख़त्म हो गया हो लेकिन दूसरे सवाल बचे हुए हैं। गुरुवार को प्रमोशन में आरक्षण के सवाल पर राज्यसभा नहीं चल सकी।
इस बार प्रमोशन में आरक्षण का मामला सामने आ गया। राज्यसभा में 117वें संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा होनी थी जिसका वास्ता इसी मसले से है।
मायावती ने कहा, ये बिल पास होना चाहिए। लेकिन, समाजवादी पार्टी के सांसदों ने इस पर हंगामा कर दिया और 'आरक्षण बिल नहीं चाहिए', के नारे लगाए। पार्टी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को पहले दो बार ख़ारिज कर चुका है इसलिए यह कोर्ट को चिढ़ाने का काम होगा। यह आरोप भी लगाया कि एफडीआई की बहस टालने के लिए सरकार यह बिल ला रही है।
जबकि बीजेपी का कहना है कि यह बिल लाने से पहले सरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों पर ठीक से नज़र डाल ले। मुश्किल यह है कि इस बिल के टकराव का असर एफडीआई की बहस में सरकार के समर्थन पर भी पड़ सकता है।
तरक्की में आरक्षण का सवाल पेचीदा है और संवेदनशील भी इसलिए सरकार इस बिल पर राजनीतिक सहमति बनाकर ही आगे बढ़ना चाहती है। लेकिन, बसपा और सपा के बीच तकरार से साफ है कि इस बिल पर आगे बढ़ना सरकार के लिए एक मुश्किल चुनौती साबित होने वाला है।
इस बार प्रमोशन में आरक्षण का मामला सामने आ गया। राज्यसभा में 117वें संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा होनी थी जिसका वास्ता इसी मसले से है।
मायावती ने कहा, ये बिल पास होना चाहिए। लेकिन, समाजवादी पार्टी के सांसदों ने इस पर हंगामा कर दिया और 'आरक्षण बिल नहीं चाहिए', के नारे लगाए। पार्टी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को पहले दो बार ख़ारिज कर चुका है इसलिए यह कोर्ट को चिढ़ाने का काम होगा। यह आरोप भी लगाया कि एफडीआई की बहस टालने के लिए सरकार यह बिल ला रही है।
जबकि बीजेपी का कहना है कि यह बिल लाने से पहले सरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों पर ठीक से नज़र डाल ले। मुश्किल यह है कि इस बिल के टकराव का असर एफडीआई की बहस में सरकार के समर्थन पर भी पड़ सकता है।
तरक्की में आरक्षण का सवाल पेचीदा है और संवेदनशील भी इसलिए सरकार इस बिल पर राजनीतिक सहमति बनाकर ही आगे बढ़ना चाहती है। लेकिन, बसपा और सपा के बीच तकरार से साफ है कि इस बिल पर आगे बढ़ना सरकार के लिए एक मुश्किल चुनौती साबित होने वाला है।
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