यह ख़बर 20 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

हिन्दी को प्रोत्साहन देना अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा को दरकिनार करना नहीं : भाजपा

नई दिल्ली:

सरकारी कामकाज में हिन्दी को प्राथमिकता देने की केंद्र सरकार की पहल के डीएमके समेत अन्य दलों द्वारा किए जा रहे विरोध के बीच भाजपा ने शुक्रवार को कहा कि हिन्दी को प्राथमिकता और प्रोत्साहन देने का कतई अर्थ नहीं कि अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा को अलग-थलग किया जा रहा है।

भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, हिन्दी को प्राथमिकता और प्रश्रय देना अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा का अपमान नहीं है। हिन्दी भाषा देश की आत्मा और क्षेत्रीय भाषाओं एवं संस्कृति का मिश्रण है। उन्होंने कहा कि हिन्दी में तेलगू, तमिल, मलयाली, मराठी, गुजराती, उर्दू, बंगाली, असमिया जैसी क्षेत्रीय भाषाओं का मिश्रण है।

नकवी ने कहा, देश में यह चलन चल गया है कि हिन्दी को प्राथमिकता एवं सम्मान देने को कुछ लोग अपने अंग्रेजी फैशन के हिस्से तक सीमित रखना चाहते हैं। अब इसका नतीजा यह हुआ कि हिन्दी लिखने, पढ़ने और बोलने वालों को कुछ लोग जाहिल समझते हैं। भाजपा नेता ने कहा कि ऐसे चलन पर रोक लगाई जानी चाहिए। हिन्दी को प्राथमिकता और प्रोत्साहन देने का कतई अर्थ नहीं कि अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा को अलग-थलग किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी से लेकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय, पंडित जवाहर लाल नेहरू, डॉ राम मनोहर लोहिया तक सभी ने हिन्दी को देश को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा बताया था। नकवी ने कहा कि सरकार ने इस दिशा में सराहनीय पहल की है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए।


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