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This Article is From Sep 20, 2015

नोएडा अथॉरिटी में 'लेवल के हिसाब' से अफसरों तक पहुंचती थी रिश्‍वत की रकम

नोएडा अथॉरिटी में 'लेवल के हिसाब' से अफसरों तक पहुंचती थी रिश्‍वत की रकम
नई दिल्‍ली: नोएडा के निलंबित मुख्य अभियंता यादव सिंह कथित तौर पर रिश्वतखोरी का पूरा सुनियोजित तंत्र चला रहे थे, जिसमें प्राधिकरण में कई अधिकारियों तक घूस की तय राशि पहुंचती थी।

सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग और सीबीआई समेत अनेक एजेंसियों की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि सिर्फ सिंह तक ही रिश्वत नहीं पहुंचती थी बल्कि विभाग के अन्य अधिकारियों को बड़े व्यवस्थित तरीके से पैसा पहुंचता था, जिसका विस्तृत रिकॉर्ड रखा जाता था।

जांच में शामिल सूत्रों को एक डायरी मिली है जिससे पता चलता है कि ठेकेदारों से कथित तौर पर कुल ठेके की कीमत का करीब पांच से 10 प्रतिशत लिया जाता था, जिसे सिंह के अधीन काम करने वाले अधिकारियों में बांटा जाता था। सबसे निचले स्तर के अधिकारी को 0.05 से 0.10 प्रतिशत यानी 100 रुपये में पांच से 10 पैसे तक मिलते थे। कुल रिश्वत 50 लाख रुपये या इससे अधिक होती थी।

जांचकर्ताओं के अनुसार, कथित तौर पर अलग-अलग वरिष्ठता के आठ स्तर पर अधिकारियों को रिश्वत दी जाती थी, जिनमें सिंह सबसे ऊपर थे। एजेंसी एक फोन से हुए संदेशों और कॉल के आदान-प्रदान का भी अध्ययन कर रही है, जिसे सिंह का ही बताया जाता है।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई दो कंपनियों- मैक्कॉन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और मीनू क्रियेशन्स के स्वामित्व का ब्यौरा भी देख रही है जो कथित तौर पर सिंह के रिश्तेदारों और साथियों से जुड़ी हैं। कोलकाता की अनेक कंपनियां और रीयल इस्टेट डवलपर भी जांच के घेरे में हैं।

सीबीआई के सूत्रों के अनुसार, उन्हें आयकर विभाग से दस्तावेज मिले हैं और दोनों विभाग इस मुद्दे पर समन्वय के साथ काम कर रहे हैं।

सीबीआई यादव सिंह, उनकी पत्नी कुसुमलता, बेटे सनी यादव और बेटी गरिमा भूषण से पूछताछ कर रही है। इन सभी के नाम सिंह के खिलाफ एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकियों में संदिग्ध के तौर पर दर्ज हैं।

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