नई दिल्ली:
भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल विधेयक पर गतिरोध दूर करने के मकसद से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक बेनतीजा रही। वैसे बैठक में विवादास्पद विधेयक पर आम सहमति बनाने की दिशा में काम करने का निर्णय लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित विधेयक के विवादास्पद हिस्सों पर विपक्षी सदस्य अपनी आपत्तियों पर अड़े रहे। लोकसभा में पिछले साल ही यह विधेयक पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में इस पर वोटिंग नहीं हो सकी थी।
सूत्रों का कहना है कि विपक्ष के सांसदों ने लोकपाल विधेयक के तहत राज्य लोकायुक्तों के गठन के प्रावधानों का कड़ा विरोध किया है क्योंकि इससे राज्यों के खुद की भ्रष्टाचार विरोधी इकाई बनाने के अधिकार का हनन होगा।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी ने पत्रकारों से कहा कि संसद के बजट सत्र के 30 मार्च से 24 अप्रैल तक के मध्यावकाश के दौरान राजनीतिक दल कुछ विवादास्पद मुद्दों पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे।
येचुरी ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर लिखित दस्तावेज के रूप में उचित समझौता होना चाहिए। हममें से कई ने इन पहलुओं पर संशोधन पेश किए हैं।
उन्होंने कहा, "एक आम सहमति बनी है कि बजट सत्र के तीन सप्ताह के मध्यावकाश के दौरान हम इन मुद्दों पर अपनी सहमति बनाने की कोशिश करेंगे और इसके बाद सत्र शुरू होने पर लोकपाल कानून बनाने के प्रयास किए जाएंगे।"
लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का विरोध इसलिए कर रही है क्योंकि इसे अन्ना हजारे के दबाव में जल्दबाजी में पेश किया गया है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदु शेखर ने कहा कि उनकी पार्टी लोकायुक्त प्रावधान की मुखर विरोधी रही है और इस प्रावधान को हटाने की मांग करती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित ज्यादातर पार्टियों ने लोकायुक्तों को लोकपाल विधेयक से अलग करने की मांग की है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रभावी लोकपाल विधेयक बनाने के प्रति संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए शुक्रवार को यह सर्वदलीय बैठक बुलाई थी।
सिंह ने बैठक में विभिन्न पार्टियों के राज्यसभा सदस्यों से कहा, "हमारी सरकार एक प्रभावी लोकपाल विधेयक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।" उन्होंने कहा, "हमने जो लक्ष्य निर्धारित किया है उस पर हम यहां मौजूद सभी नेताओं के मार्गदर्शन में काम करने के लिए तत्पर हैं।" बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी, पी चिदम्बरम, एके एंटनी और सलमान खुर्शीद भी मौजूद थे।
पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो सका था। दरअसल विपक्ष ने इसमें बहुत से संशोधन प्रस्तुत किए थे और सरकार का कहना था कि इन संशोधनों के अध्ययन के लिए समय की जरूरत है।
सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित विधेयक के विवादास्पद हिस्सों पर विपक्षी सदस्य अपनी आपत्तियों पर अड़े रहे। लोकसभा में पिछले साल ही यह विधेयक पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में इस पर वोटिंग नहीं हो सकी थी।
सूत्रों का कहना है कि विपक्ष के सांसदों ने लोकपाल विधेयक के तहत राज्य लोकायुक्तों के गठन के प्रावधानों का कड़ा विरोध किया है क्योंकि इससे राज्यों के खुद की भ्रष्टाचार विरोधी इकाई बनाने के अधिकार का हनन होगा।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी ने पत्रकारों से कहा कि संसद के बजट सत्र के 30 मार्च से 24 अप्रैल तक के मध्यावकाश के दौरान राजनीतिक दल कुछ विवादास्पद मुद्दों पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे।
येचुरी ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर लिखित दस्तावेज के रूप में उचित समझौता होना चाहिए। हममें से कई ने इन पहलुओं पर संशोधन पेश किए हैं।
उन्होंने कहा, "एक आम सहमति बनी है कि बजट सत्र के तीन सप्ताह के मध्यावकाश के दौरान हम इन मुद्दों पर अपनी सहमति बनाने की कोशिश करेंगे और इसके बाद सत्र शुरू होने पर लोकपाल कानून बनाने के प्रयास किए जाएंगे।"
लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का विरोध इसलिए कर रही है क्योंकि इसे अन्ना हजारे के दबाव में जल्दबाजी में पेश किया गया है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदु शेखर ने कहा कि उनकी पार्टी लोकायुक्त प्रावधान की मुखर विरोधी रही है और इस प्रावधान को हटाने की मांग करती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित ज्यादातर पार्टियों ने लोकायुक्तों को लोकपाल विधेयक से अलग करने की मांग की है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रभावी लोकपाल विधेयक बनाने के प्रति संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए शुक्रवार को यह सर्वदलीय बैठक बुलाई थी।
सिंह ने बैठक में विभिन्न पार्टियों के राज्यसभा सदस्यों से कहा, "हमारी सरकार एक प्रभावी लोकपाल विधेयक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।" उन्होंने कहा, "हमने जो लक्ष्य निर्धारित किया है उस पर हम यहां मौजूद सभी नेताओं के मार्गदर्शन में काम करने के लिए तत्पर हैं।" बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी, पी चिदम्बरम, एके एंटनी और सलमान खुर्शीद भी मौजूद थे।
पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो सका था। दरअसल विपक्ष ने इसमें बहुत से संशोधन प्रस्तुत किए थे और सरकार का कहना था कि इन संशोधनों के अध्ययन के लिए समय की जरूरत है।
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