
18 बच्चों को इस साल के राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार के लिए चुना गया है
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18 बच्चों को इस साल के राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार के लिए चुना गया है.
तीन बच्चों को ये पुरस्कार मरणोपरांत दिया जा रहा है.
राजपथ पर होने वाली 26 जनवरी की परेड में ये बच्चें हिस्सा लेंगे.
वहीं प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार कनार्टक की रहने वाली 14 साल की नेत्रावती एम चाव्हान को मरणोपरांत दिया जाएगा. उन्होंने दो डूबते हुए बच्चों को बचाते हुए अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी.
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संजय चोपड़ा पुरस्कार साढ़े सत्रह साल के मास्टर करनबीर सिंह को दिया जाएगा. 20 सिंतबर 2016 को कुछ बच्चे अपनी स्कूल की बस में वापिस लौट रहे थे चालक तीव्र गति से गाड़ी चला रहा था, अटारी गांव के पास एक पुल को पार करते समय बस दीवार से टकराकर नाले में जा गिरी, कुछ ही देर में बस पानी से भर गई जिसके कारण सभी बच्चें घबरा गए और उन्हें सांस लेने में दिकत होने लगी तब पंजाब के करनबीर सिंह ने बस का दरवाजा तोड़ा और 15 बच्चों को बचाया.
मेघालय के 14 साल के मास्टर बेटसवजॉन पेनलांग, ओडिसा की साढ़े सात साल की ममता दलाई और केरल के साढ़े 13 साल के मास्टर सेबेस्टियन को बापू गैधानी पुरस्कार दिया जाएगा. बेटसवजॉन ने बहादुरी दिखाते हुए अपने भाई को जिंदा जलने से बचाया वही ममता ने अपने एक दोस्त को मगरमच्छ के जबड़े से बाहर निकाला तो सेबेस्टियन ने अपने एक दोस्त को रेल की चपेट में आने से बचाया.
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पुरस्कार का चयन एक उच्चस्तरीय समिति ने किया है, जिसमें विभिन्न मंत्रालय, विभागों के साथ एनजीओ और भारतीय बाल कल्याण विभाग के अधिकारी भी शामिल थे. गणतंत्र दिवस के पहले 24 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें सम्मानित करेंगे और इसके बाद ये गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेंगे. पहली बार 1957 में दो बच्चों को बहादुरी के लिए ये पुरस्कार दिए गए थे. उसके बाद से हर साल ये राष्ट्रीय पुरस्कार बच्चों को दिया जाता है. अब तक 963 बच्चों को ये पुरस्कार दिया जा चुका है, जिसमें 680 लड़के और 283 लड़कियां शामिल हैं.
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