
पीएम मोदी और महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
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जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू.
राष्ट्रपति कोविंद ने दी मंजूरी.
बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया.
BJP-PDP पर बरसे राहुल, बोले- इस गठबंधन ने जम्मू कश्मीर को आग में झोंक दिया
कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी की सरकार गिरनने के बाद किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा नहीं पेश किया था. नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन की मांग की थी. वहीं पीडीपी भी रेस में नहीं थी. कांग्रेस ने पहले ही कह दिया कि पीडीपी के साथ जाने का कोई सवाल ही नहीं है. ज़ाहिर है सिर्फ़ एक मात्र विकल्प राष्ट्रपति शासन बचता था. इस बीच जम्मू कश्मीर के गवर्नर ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी थी. उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की थी.
जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बाद हो सकती है नए राज्यपाल की नियुक्ति
गौरतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर की 87-सदस्यीय विधानसभा के लिए वर्ष 2014 में 25 नवंबर और 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में चुनाव करवाए गए थे, जिनमें तत्कालीन सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस की हार हुई, और कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार चला रही पार्टी को सिर्फ 15 सीटों से संतोष करना पड़ा. दूसरी ओर, वर्ष 2008 में सिर्फ 11 सीटों पर जीती BJP ने इस बार 'मोदी लहर' में 25 सीटें जीतीं, और 52 दिन के गवर्नर शासन के बाद पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की PDP को समर्थन देकर सरकार बनवा दी.
इस्तीफे के बाद बोलीं महबूबा मुफ्ती, BJP के साथ गठबंधन पावर के लिए नहीं था
1 मार्च, 2015 को सत्तासीन हुए सईद का जनवरी, 2016 में देहावसान होने के कारण सरकार फिर संकट में आ गई, और राज्य में एक बार फिर गवर्नर शासन लगाना पड़ा. इस बार 88 दिन तक गवर्नर शासन लगा रहने के बाद सईद की पुत्री महबूबा मुफ्ती को समर्थन देकर BJP ने फिर सरकार बनवाई, जो मंगलवार को समर्थन वापसी के ऐलान के साथ ही गिर गई है.
जम्मू कश्मीर विधानसभा
कुल 87 सीटें
पीडीपी- 28
बीजेपी-25
नेशनल कॉन्फ्रेंस-15
कांग्रेस-12
जेकेपीसी-2
सीपीएम-1
जेकेपीडीएफ़-1
निर्दलीय-3
जम्मू कश्मीर में गिरी सरकार, महबूबा मुफ्ती बोलीं- BJP के साथ गठबंधन पावर के लिए नहीं था
क्यों टूटा गठबंधन?
बीजेपी का बयान:
- मौजूदा हालात गठबंधन टूटने की वजह
- महबूबा मुफ़्ती हालात नहीं संभाल सकीं
- राज्यपाल शासन से बेहतर होंगे हालात
- PDP ने केंद के काम में अड़ंगा डाला
- रमज़ान में सीज़फ़ायर का फ़ायदा नहीं
- आतंकियों,हुर्रियत से अच्छा रिस्पॉन्स नहीं
- PDP ने विकास में जम्मू से भेदभाव किया
- श्रीनगर में एक बड़े पत्रकार की हत्या हो गई..पर सरकार चुप रही
- घाटी में आतंकवाद काफ़ी बढ़ गया है
- सीज़फ़ायर पर गहरी असहमति
- कठुआ मामले में दिखा टकराव
- पत्थरबाज़ी से निबटने पर आम राय नहीं
- अनुच्छेद 35 ए पर भी विवाद
- 2019 में बीजेपी को नुक़सान का अंदेशा
बीजेपी पर ये आरोप भी लग रहे हैं कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने ये फ़ैसला लिया है ताकि घाटी में बढ़ रही आतंकी घटनाओं को लेकर केंद्र की छवि ख़राब न हो. इसलिए सीज़फ़ायर ख़त्म करने के बाद तुरंत गठबंधन तोड़ दिया. लेकिन इस गठबंधन पर सवाल हमेशा उठते रहे. दोनों दलों ने कई मुश्किल मुकाम पार भी किए. लेकिन अब ऐसा क्या हो गया कि बीजेपी ने बिना बताए पीडीपी का साथ छोड़ दिया.
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