राष्ट्रपति ने पश्चिम बंगाल के किरनहार में अपने आवास पर एनडीटीवी से कहा, ‘‘हमारी सभ्यता ने हमें सहिष्णुता अपनाने, मतभेदों को स्वीकार करने और असंतोष का सम्मान करना सिखाया है। यही वह भावना है, जिसने हमें एक रखा।’’
हमें इस संदेश को समझना चाहिए
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैंने जैसा कहा, हमें इस संदेश को समझना चाहिए और हमारी गतिविधियों, दैनंदिन क्रियाकलापों में यह प्रतिबिंबित होना चाहिए, फिर चाहे वह हमारी सभ्यता और संस्कृति की बात हो, हमारा व्यवहार, हमारा दृष्टिकोण और रवैया हो।’’
ऐसा बयान देने के पीछे उनकी क्या चिंताएं थीं
उनसे उनकी कल की सख्त टिप्पणी के बारे में पूछा गया था, जिसमें उन्होंने सवाल किया था कि क्या देश में सहिष्णुता और असंतोष की स्वीकार्यता समाप्त हो गई है। उनसे पूछा गया कि ऐसा बयान देने के पीछे उनकी क्या चिंताएं थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इसकी वजह यह है कि पिछले सप्ताह पश्चिम एशिया के तीन देशों की उनकी यात्रा के दौरान उनसे विभिन्न भाषाओं, जातियों, धर्मों, रीति रिवाज, मान्यताओं और विविधताओं से भरे भारत की ‘कैमिस्ट्री’ के बारे में पूछा गया, जहां एक बहुत सफल बहुदलीय संसदीय लोकतंत्र प्रणाली है।
हमारी सभ्यता की भावना है जो हमें जोड़े हुए है
राष्ट्रपति ने कहा, ‘तब मैंने उन्हें बताया कि शायद यह हमारी सभ्यता की भावना है जो हमें जोड़े हुए है और हमें बांधे रखती है और हम अपनी विविधता का जश्न मनाते हैं। यह हमारा हिस्सा है। हमारी सभ्यता ने हमें सहिष्णुता को बढ़ावा देना, मतभेदों को स्वीकार करना और असंतोष का सम्मान करना सिखाया है। इसलिए यही वह भावना है जो हमें जोड़े रखती है।’
दुर्गा पूजा के मौके पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘वे त्यौहार मनाएं और इसके साथ ही इस उत्सव के संदेश को अपने रोजमर्रा के जीवन और आचरण में अपनाएं।’