नई दिल्ली:
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पीए संगमा ने यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी पर सवाल उठाए हैं। संगमा की तरफ से आरोप लगाया गया है कि प्रणब मुखर्जी कोलकाता के भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के चेयरमैन पद पर काबिज़ हैं और यह पद 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' के दायरे में आता है।
संविधान की धारा 58 और 59 कहती है कि कोई भी व्यक्ति लाभ के पद पर रहते हुए राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बन सकता।
संगमा ने रिटर्निंग ऑफ़िसर को चिट्ठी लिखकर प्रणब की उम्मीदवारी खारिज़ करने की मांग की है।
उधर, कांग्रेस की तरफ से साफ किया गया है कि प्रणब मुखर्जी ने इस पद से 20 जून को ही इस्तीफा दे दिया था लिहाज़ा उनपर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का कोई मामला नहीं बनता।
भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के निदेशक बिमल राय ने भी साफ किया है कि प्रणब मुखर्जी चेयरमैन पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
हालांकि संगमा के प्रतिनिधि सतपाल जैन की दलील है कि प्रणब मुखर्जी ने इस्तीफा नहीं दिया है और 28 जून को उनके नामांकन के बाद भी इंस्टीटूट की अपडेट हुई साइट पर उनका नाम चेयरमैन के तौर पर मौजूद है।
बिमल राय ने साइट को समय पर अपडेट नहीं करने के लिए माफी मांगी है। संगमा को समर्थन दे रही बीजेपी ने मांग की है कि भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के रिकॉर्ड को ज़ब्त किया जाए ताकि उसमें किसी तरह की फेरबदल न की जा सके।
रिटर्निंग आफ़िसर ने प्रणब मुखर्जी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए मंगलवार 3 बजे तक का वक्त दिया है। प्रणब मुखर्जी की तरफ से लिखित जवाब दाखिल करने के बाद संगमा के प्रतिनिधि अपनी दलील देंगे और फिर नामांकनों की जांच की प्रक्रिया पूरी होगी।
इस बीच, ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के इस मामले को उछालने के बाद पीए संगमा काफी उत्साहित नज़र आए। जीत के लिए ज़रूरी आंकड़े में पीछे दिख रहे संगमा को उम्मीद है कि प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी खारिज हो जाने के बाद उनके सामने मैदान में कोई बचेगा ही नहीं। संगमा ने बीजेपी पार्टी ऑफिस जाकर बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं से मुलाक़ात की।
इसके बाद संगमा लालकृष्ण आडवाणी के घर हुई बीजेपी मुख्यमंत्री की बैठक में पहुंचे। इसमें संगमा को जिताने के लिए अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा हुई।
संविधान की धारा 58 और 59 कहती है कि कोई भी व्यक्ति लाभ के पद पर रहते हुए राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बन सकता।
संगमा ने रिटर्निंग ऑफ़िसर को चिट्ठी लिखकर प्रणब की उम्मीदवारी खारिज़ करने की मांग की है।
उधर, कांग्रेस की तरफ से साफ किया गया है कि प्रणब मुखर्जी ने इस पद से 20 जून को ही इस्तीफा दे दिया था लिहाज़ा उनपर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का कोई मामला नहीं बनता।
भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के निदेशक बिमल राय ने भी साफ किया है कि प्रणब मुखर्जी चेयरमैन पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
हालांकि संगमा के प्रतिनिधि सतपाल जैन की दलील है कि प्रणब मुखर्जी ने इस्तीफा नहीं दिया है और 28 जून को उनके नामांकन के बाद भी इंस्टीटूट की अपडेट हुई साइट पर उनका नाम चेयरमैन के तौर पर मौजूद है।
बिमल राय ने साइट को समय पर अपडेट नहीं करने के लिए माफी मांगी है। संगमा को समर्थन दे रही बीजेपी ने मांग की है कि भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के रिकॉर्ड को ज़ब्त किया जाए ताकि उसमें किसी तरह की फेरबदल न की जा सके।
रिटर्निंग आफ़िसर ने प्रणब मुखर्जी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए मंगलवार 3 बजे तक का वक्त दिया है। प्रणब मुखर्जी की तरफ से लिखित जवाब दाखिल करने के बाद संगमा के प्रतिनिधि अपनी दलील देंगे और फिर नामांकनों की जांच की प्रक्रिया पूरी होगी।
इस बीच, ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के इस मामले को उछालने के बाद पीए संगमा काफी उत्साहित नज़र आए। जीत के लिए ज़रूरी आंकड़े में पीछे दिख रहे संगमा को उम्मीद है कि प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी खारिज हो जाने के बाद उनके सामने मैदान में कोई बचेगा ही नहीं। संगमा ने बीजेपी पार्टी ऑफिस जाकर बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं से मुलाक़ात की।
इसके बाद संगमा लालकृष्ण आडवाणी के घर हुई बीजेपी मुख्यमंत्री की बैठक में पहुंचे। इसमें संगमा को जिताने के लिए अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा हुई।
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