नीलम संजीव रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति चुने गए. (फाइल फोटो)
राजनीति से रिटायर होने के बाद सियासत में वापसी आसान नहीं होती. लेकिन राजनीति की रपटीली राहों में एक राजनेता ऐसे भी रहे जिन्होंने सियासत में दूसरी कामयाबी पारी खेली और सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड भी बनाया. जी हां बात हो रही है नीलम संजीव रेड्डी (1913-1996) की. वह 1977-82 तक देश के राष्ट्रपति रहे. उनके नाम कई अन्य रिकॉर्ड भी रहे. मसलन वह राष्ट्रपति बनने से पहले आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा लोकसभा स्पीकर भी रहे. वह जनता पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति बनने वाले एकमात्र नेता हैं. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे.
छठे राष्ट्रपति
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में जन्मे नीलम संजीव रेड्डी ने कांग्रेस पार्टी से जुड़कर सियासी पारी शुरू की. 1946 में पहली बार मद्रास विधानसभा के सदस्य बने. आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे. 1964 से 1967 के दौरान लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे. 1967-69 के दौरान लोकसभा स्पीकर रहे. उसके बाद पॉलिटिक्स से दूर हो गए.
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संपूर्ण क्रांति
1975 में जब इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने 'संपूर्ण क्रांति' का नारा दिया तो नीलम संजीव रेड्डी दोबारा सियासत में लौटे. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर संसद पहुंचे और निर्विरोध रूप से छठी लोकसभा के स्पीकर चुने गए. उसके तीन महीने बाद ही निर्विरोध रूप से राष्ट्रपति चुने गए. उल्लेखनीय है कि देश के पहले राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद चुने गए.
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छठे राष्ट्रपति
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में जन्मे नीलम संजीव रेड्डी ने कांग्रेस पार्टी से जुड़कर सियासी पारी शुरू की. 1946 में पहली बार मद्रास विधानसभा के सदस्य बने. आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे. 1964 से 1967 के दौरान लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे. 1967-69 के दौरान लोकसभा स्पीकर रहे. उसके बाद पॉलिटिक्स से दूर हो गए.
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1975 में जब इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने 'संपूर्ण क्रांति' का नारा दिया तो नीलम संजीव रेड्डी दोबारा सियासत में लौटे. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर संसद पहुंचे और निर्विरोध रूप से छठी लोकसभा के स्पीकर चुने गए. उसके तीन महीने बाद ही निर्विरोध रूप से राष्ट्रपति चुने गए. उल्लेखनीय है कि देश के पहले राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद चुने गए.
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