मॉरिशस के प्रधानमंत्री के सम्मान में आयोजित भोज में शामिल होने के बाद दोनों नेताओं की मुलाकात हुई
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. कुमार ने भारत की यात्रा पर आए मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के सम्मान में आयोजित दोपहर के भोज में शामिल होने के बाद मोदी से मुलाकात की. पीएमओ ने ट्वीट किया, ‘‘बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.’
कुमार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से शुक्रवार को आयोजित भोज में शामिल नहीं हुए और उन्होंने जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव को उसमें भेजा. इस सिलसिले में शुक्रवार को मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने के अवसर पर विपक्षी एकजुटता दिखाने के लिए सोनिया गांधी ने लंच पार्टी का आयोजन किया था. उसमें खास बात यह रही कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए. हालांकि इससे पहले राष्ट्रपति चुनावों की सुगबुगाहट शुरू होने के बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात करने वाले सबसे पहले नेताओं में शुमार थे. उसके बाद जदयू की तरफ से शरद यादव ने भी कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की थी. इन सबके बाद राष्ट्रपति चुनाव की चर्चाओं और 2019 के आम चुनावों के मद्देनजर नरेंद्र मोदी के खिलाफ किलेबंदी के लिहाज से जब सोनिया गांधी के लंच के बुलावे पर विपक्षी दलों का सियासी जमावड़ा हुआ तो नीतीश कुमार कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके. उन्होंने इसके पीछे पूर्व निर्धारित सरकारी कार्यक्रमों में व्यस्तता को बताया.
उनकी गैरमौजूदगी से सवाल उठ ही रहे थे कि खबर आई कि पीएम मोदी की तरफ से शनिवार को लंच के लिए बुलावे पर दिल्ली आएंगे.
हालांकि इस पर सफाई देते हुए शुक्रवार को पटना में कैबिनेट की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि शुक्रवार के भोज में शामिल न होने का लोग अनावश्यक ही गलत अर्थ लगा रहे हैं जबकि कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल को उन्होंने पांच दिन पहले ही बता दिया था कि उनकी पार्टी की तरफ से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव शामिल होंगे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आयोजित बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उसपर उन्होंने अपनी राय बता दी थी. नीतीश कुमार ने कुछ दिनों पूर्व ही ये घोषणा कर दी थी कि राष्ट्रपति चुनाव पर वर्तमान मोदी सरकार को आम सहमति बनाने के लिए पहल करनी चाहिए. शुक्रवार को बैठक में भी इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया. लेकिन नीतीश ने कहा कि महागठबंधन के सभी फैसले का वो आदर करते हैं.
हालांकि नीतीश कुमार ने माना था कि उन्होंने अलग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गंगा नदी में गाद की समस्या पर चर्चा के लिए समय मांगा था और उन्हें सूचना दी गयी थी कि ये बैठक शनिवार को भोज के बाद होगी. बैठक के एजेंडा को साफ़ करते हुए नीतीश ने कहा था कि वो गंगा नदी की गाद को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस गंगा की अविरलता की बात कर रही है वो गंगा में गाद के जमा होने तक संभव नहीं. नीतीश चाहते हैं कि केंद्र एक बार फिर इस समस्या के अध्ययन के लिए स्थल के निरीक्षण के लिए एक टीम भेजे.
प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक पर राजैनतिक अटकलें होंगी, इसपर नीतीश ने सफाई दी थी कि जब यूपीए की सरकार थी तब भी मॉरिशस के प्रधानमंत्री हों या जापान के प्रधानमंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें निमंत्रण दिए जाने की परंपरा रही है. लेकिन मॉरिशस के साथ बिहार का भावनातमक लगाव है. वहां की 52 प्रतिशत आबादी का मूल बिहार है. अभी के प्रधानमंत्री बिहार मूल के हैं. इस अवसर पर नीतीश ने कहा कि इसी पृष्ठभूमि में वो जा रहे हैं.
हालांकि राजैनतिक जानकार मानते हैं कि शुक्रवार को अगर सोनिया गांधी के भोज में नीतीश नहीं गए तो उसके पीछे उनका अपना कोई विचार रहा होगा और प्रधानमंत्री के भोज में 24 घंटे के अंदर जाने के लिए उन्होंने सहमति दी है तो उसके पीछे भी उनकी कोई रणनीति जरूर रही होगी. लेकिन घोटाले के आरोपों में घिरे अपने सहयोगी लालू यादव के साथ फ़िलहाल वो किसी सार्वजनिक मंच पर नहीं आना चाहते.
The Chief Minister of Bihar, Shri @NitishKumar met PM Shri @narendramodi in New Delhi today. pic.twitter.com/cv784LHQth
— PMO India (@PMOIndia) May 27, 2017
कुमार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से शुक्रवार को आयोजित भोज में शामिल नहीं हुए और उन्होंने जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव को उसमें भेजा. इस सिलसिले में शुक्रवार को मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने के अवसर पर विपक्षी एकजुटता दिखाने के लिए सोनिया गांधी ने लंच पार्टी का आयोजन किया था. उसमें खास बात यह रही कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए. हालांकि इससे पहले राष्ट्रपति चुनावों की सुगबुगाहट शुरू होने के बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात करने वाले सबसे पहले नेताओं में शुमार थे. उसके बाद जदयू की तरफ से शरद यादव ने भी कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की थी. इन सबके बाद राष्ट्रपति चुनाव की चर्चाओं और 2019 के आम चुनावों के मद्देनजर नरेंद्र मोदी के खिलाफ किलेबंदी के लिहाज से जब सोनिया गांधी के लंच के बुलावे पर विपक्षी दलों का सियासी जमावड़ा हुआ तो नीतीश कुमार कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके. उन्होंने इसके पीछे पूर्व निर्धारित सरकारी कार्यक्रमों में व्यस्तता को बताया.
उनकी गैरमौजूदगी से सवाल उठ ही रहे थे कि खबर आई कि पीएम मोदी की तरफ से शनिवार को लंच के लिए बुलावे पर दिल्ली आएंगे.
हालांकि इस पर सफाई देते हुए शुक्रवार को पटना में कैबिनेट की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि शुक्रवार के भोज में शामिल न होने का लोग अनावश्यक ही गलत अर्थ लगा रहे हैं जबकि कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल को उन्होंने पांच दिन पहले ही बता दिया था कि उनकी पार्टी की तरफ से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव शामिल होंगे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आयोजित बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उसपर उन्होंने अपनी राय बता दी थी. नीतीश कुमार ने कुछ दिनों पूर्व ही ये घोषणा कर दी थी कि राष्ट्रपति चुनाव पर वर्तमान मोदी सरकार को आम सहमति बनाने के लिए पहल करनी चाहिए. शुक्रवार को बैठक में भी इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया. लेकिन नीतीश ने कहा कि महागठबंधन के सभी फैसले का वो आदर करते हैं.
हालांकि नीतीश कुमार ने माना था कि उन्होंने अलग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गंगा नदी में गाद की समस्या पर चर्चा के लिए समय मांगा था और उन्हें सूचना दी गयी थी कि ये बैठक शनिवार को भोज के बाद होगी. बैठक के एजेंडा को साफ़ करते हुए नीतीश ने कहा था कि वो गंगा नदी की गाद को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस गंगा की अविरलता की बात कर रही है वो गंगा में गाद के जमा होने तक संभव नहीं. नीतीश चाहते हैं कि केंद्र एक बार फिर इस समस्या के अध्ययन के लिए स्थल के निरीक्षण के लिए एक टीम भेजे.
प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक पर राजैनतिक अटकलें होंगी, इसपर नीतीश ने सफाई दी थी कि जब यूपीए की सरकार थी तब भी मॉरिशस के प्रधानमंत्री हों या जापान के प्रधानमंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें निमंत्रण दिए जाने की परंपरा रही है. लेकिन मॉरिशस के साथ बिहार का भावनातमक लगाव है. वहां की 52 प्रतिशत आबादी का मूल बिहार है. अभी के प्रधानमंत्री बिहार मूल के हैं. इस अवसर पर नीतीश ने कहा कि इसी पृष्ठभूमि में वो जा रहे हैं.
हालांकि राजैनतिक जानकार मानते हैं कि शुक्रवार को अगर सोनिया गांधी के भोज में नीतीश नहीं गए तो उसके पीछे उनका अपना कोई विचार रहा होगा और प्रधानमंत्री के भोज में 24 घंटे के अंदर जाने के लिए उन्होंने सहमति दी है तो उसके पीछे भी उनकी कोई रणनीति जरूर रही होगी. लेकिन घोटाले के आरोपों में घिरे अपने सहयोगी लालू यादव के साथ फ़िलहाल वो किसी सार्वजनिक मंच पर नहीं आना चाहते.
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