नजमा हेपतुल्ला अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री थीं।
खास बातें
- नजमा बोलीं, राष्ट्रपति ने मेरा इस्तीफा अनिच्छा से स्वीकार किया
- अब मोदी कैबिनेट में बचे हैं 75+के सिर्फ एक मंत्री कलराज मिश्र
- सूत्रों के मुताबिक, नजमा हेपतुल्ला को बनाया जा सकता है राज्यपाल
नई दिल्ली: नजमा हेपतुल्ला के इसी सप्ताह हुए इस्तीफे के साथ नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ा कैबिनेट फेरबदल पूरा हुआ। नजमा के अनुसार, उन्होंने मंत्री पद इसलिए छोड़ा क्योंकि वे अपने लिए समय चाहती थीं।
इसी वर्ष अप्रैल में 75 वर्ष पूरे करने वाली नजमा हेपतुल्ता के अनुसार, 'मैं अपने लिए कुछ समय चाहती थी, इसलिए इस्तीफा दिया है। राष्ट्रपति ने इसे अनिच्छा से स्वीकार किया है।' नजमा हेपतुल्ला का अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के पद से इस्तीफे को एक अलिखित नियम की परिणाम माना जा रहा है। मोदी की 76 सदस्यीय कैबिनेट में अब 75 वर्ष से अधिक उम्र के केवल एक मंत्री, कलराज मिश्रा हैं।
समझा जाता है कि यूपी के पावरफुल ब्राह्मण समाज से होने के कारण उन्हें फिलहाल बरकरार रखा गया है। यूपी में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। पूर्व में कांग्रेस से जुड़ी रहीं नजमा ने वर्ष 2004 में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी। उन्होंने कहा, 'मुझे जरा भी चिंतित नहीं हूं। पिछले दो साल में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में मैंने अपना काम पूरा कर लिया है।'
सूत्रों के मुताबिक, उन्हें राज्यपाल बनाया जा सकता है। नजमा ने कहा कि, भविष्य में सौंपी जाने वाली किसी भी जिम्मेदारी के लिए मैं तैयार हूं। पिछले सप्ताह पीएम मोदी ने जब अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था तो नजमा देश से बाहर थीं। दिल्ली लौटने के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा। सूत्र बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने नजमा को सम्मान विदाई की इजाजत दी है। मंत्रिमंडल विस्तार के तुरंत बाद पांच मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए थे जबकि छठे मंत्री जीएम सिद्धेश्वरा ने अपने बर्थडे के कारण इस्तीफे के लिए कुछ समय मांगा था। सिद्धेश्वरा ने पिछले सप्ताह इस्तीफा दिया है।