नई दिल्ली:
देश के 62वें गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में भ्रष्टाचार और महंगाई पर अंकुश लगाने तथा संसद की गरिमा बनाए रखने की अपील की। राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार को विकास और सुशासन का शत्रु बताते हुए इससे और अधिक प्रभावी ढंग से निपटने की हिदायत दी। जनसेवा के क्षेत्र में संवेदनहीनता तथा लापरवाही को स्वीकार नहीं किया जा सकता। लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास तेज करने वाली योजनाओं तथा कार्यक्रमों में ही और अधिक पारदर्शिता तथा जवाबदेही निर्धारित करनी होगी। भ्रष्टाचार के मुद्दों पर संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ने के परिप्रेक्ष्य में प्रतिभा पाटिल ने विपक्ष और सत्ता पक्ष से कहा कि संसद के सफल संचालन की दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है जिसे वे निभाएं अन्यथा लोकतांत्रिक संस्थाओं पर जनता के भरोसे पर असर पड़ सकता है। संसद में छाए गतिरोध के संदर्भ में राष्ट्रपति ने कहा, संसद का सफलतापूर्वक संचालन सरकार और विपक्ष दोनों ही पक्षों की संयुक्त जिम्मेदारी है। यह बहुत ही जरूरी है कि सभा की मर्यादा तथा गरिमा हर समय बनाए रखी जाए। बढ़ती महंगाई पर चिन्ता जताते हुए उन्होंने कहा कि इसपर नियंत्रण के लिए उचित कार्रवाई करने के साथ खाद्य सुरक्षा की व्यवस्था करनी होगी। उन्होंने कहा कि अब हम वैश्विक वित्तीय संकट से पहले की विकास की गति की ओर वापस लौट रहे हैं और हमें यकीन है कि अगले वर्ष हमारी विकास दर नौ प्रतिशत से अधिक रहेगी। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम राष्ट्रपति के संदेश को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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