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This Article is From Sep 16, 2016

शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, बिहार सरकार भी पहुंची

शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, बिहार सरकार भी पहुंची
शहाबुद्दीन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: आरजेडी नेता शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की मांग को लेकर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किए जाने के बाद बिहार सरकार ने भी इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. प्रशांत भूषण ने चंदा बाबू की तरफ से याचिका दाखिल की है. कोर्ट याचिका पर जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है. इस मामले में 19 सितंबर को सुनवाई होगी.

गौरतलब है कि शहाबुद्दीन के बाहर आते ही बिहार की सियासत में भूचाल आ गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि शहाबुद्दीन के जमानत पर बाहर आने से उनकी सुरक्षा को खतरा हो गया है.

 आरजेडी नेता शहाबुद्दीन की जमानत को रद्द करने को लेकर दाखिल याचिका में कहा गया है:-
  • शहाबुद्दीन हार्डकोर टाइप A हिस्ट्रीशीटर, जिसे सुधारा नहीं जा सकता।
  • शहाबुद्दीन पर कुल 58 आपराधिक मामले हैं, जिसमें से 8 में दोषी करार दिया जा चुका है।
  • नवंबर 2014 तक उनके खिलाफ मजिस्ट्रेट के सामने 27 और सेशन में 11 मुक़दमे लंबित हैं।
  • हत्या के दो मामलों में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है।
  • फ़िलहाल शहाबुद्दीन पर हत्या, हत्या का प्रयास, हत्या के उद्देश्य से अपहरण, जबरन उगाही, चोरी और खतरनाक हथियारों के साथ बलवा करने के मामलों में सुनवाई चल रही है।
  • ऐसे शख्स को जमानत देकर हाई कोर्ट ने इस तथ्य को अनदेखा किया है कि शहाबुद्दीन के मन में कानून के लिए कोई सम्मान नहीं है।
  • हाईकोर्ट के इस आदेश से इतने आपराधिक केसों में आरोपी होने के बावजूद शहाबुद्दीन ऐसे बाहर आ गया है जैसे उस पर कोई केस ही न हो।
  • हाईकोर्ट का ज़मानत देने का आदेश कानून का मज़ाक उड़ाना है क्योंकि हत्या के केस में अभी तक गवाहों के बयान भी दर्ज नहीं हुए हैं।
  • हाईकोर्ट ने इस तथ्य को भी अनदेखा कर दिया कि शहाबुद्दीन पर 13 मई 2016 को सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या का भी आरोप है।
  • 18 मई 2016 को सिवान जेल में छापे के दौरान उसके पास से 40 मोबाइल भी बरामद हुए।
  • सिवान जेल के भीतर से ही वह आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा था इसके लिए उसे सिवान से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया था।
  • जेल में उससे कई राजनेता भी बिना अनुमति मिलते रहे हैं।
  • दरअसल, 2004 में शहाबुद्दीन द्वारा मारे गए दो भाइयों गिरीश और सतीश के मामले में शहाबुद्दीन को दिसम्बर 2015 में उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी.
  • वहीं इस मामले में इकलौते गवाह गिरीश और सतीश के इकलौते भाई राजीव रोशन की भी 16 जून 2014 को हत्या कर दी गई थी. इस मामले में शहाबुद्दीन फ़िलहाल जमानत पर हैं और ये याचिका तीनों भाइयों के पिता चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ़  चंदा बाबू ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. याचिका में बिहार सरकार को भी पार्टी बनाया गया है.
बिहार सरकार ने कहा, जमानत देना न्याय का मखौल
बिहार सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि शहाबुद्दीन के आपराधिक रिकॉर्ड देखते हुए जमानत रद्द की जानी चाहिए. शहाबुद्दीन समाज के लिए आतंक और मुसीबत की तरह है. इसको जमानत देना न्याय का मखौल बनाना है.

हाईकोर्ट ने निचली अदालत को नौ महीने में सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए थे. लेकिन सात महीने में ही हाई कोर्ट ने निचली अदालत में केस की प्रगति को न देखते हुए जमानत दे दी. जबकि हाई कोर्ट ने ने जमानत देने से पहले ट्रॉयल कोर्ट से प्रगति रिपोर्ट नहीं मांगी.

शहाबुद्दीन पर बेहद गंभीर आरोप हैं. आरजेडी नेता शहाबुद्दीन के आतंक को ध्यान में रखते हुए उसको जेल में रखकर ट्रॉयल का फैसला लिया गया था. जब शहाबुद्दीन जेल में था तब कोई गवाह उनके खिलाफ नहीं आ रहा था. ऐसे में जब उसको जमानत दे दी गई तो अब कैसे आएगा. जेल के अंदर ट्रॉयल पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई थी. शहाबुद्दीन के बाहर आने के बाद 20 लोगों को सुरक्षा दी गई है.

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