
वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)
कोच्चि:
देशभर में ‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर चल रही बहस के बीच केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि यह प्रथा बंद होनी चाहिए क्योंकि यह महिलाओं को नुकसान पहुंचा रही है. शहरी विकास मंत्री ने कहा कि विधि आयोग और सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा पर जनता से राय मांगी है और चर्चा कराने की बात कही है.
नायडू ने कहा, चर्चा के बाद भारत सरकार ने यह मत दिया है कि तीन तलाक महिलाओं के हित में नहीं है. इसे खत्म होना चाहिए. नायडू का यह बयान इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों समेत कई मुस्लिम संगठन और नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ‘शरिया कानून बदला नहीं जा सकता. केंद्र सरकार को तीन तलाक के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने की सलाह देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने हाल ही में दावा किया था कि 90 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं शरिया कानून का समर्थन करती हैं.
गत 7 अक्तूबर को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिमों में जारी तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथाओं का विरोध किया था और लैंगिक समानता एवं धर्मनिरपेक्षता के आधार पर इनपर दोबारा गौर करने की वकालत की थी.
कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय नियमों, धार्मिक प्रथाओं और विभिन्न इस्लामी देशों में मार्शल लॉ का उल्लेख करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत को तीन तलाक और बहुविवाह के मुद्दे पर नए सिरे से निर्णय देना चाहिए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नायडू ने कहा, चर्चा के बाद भारत सरकार ने यह मत दिया है कि तीन तलाक महिलाओं के हित में नहीं है. इसे खत्म होना चाहिए. नायडू का यह बयान इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों समेत कई मुस्लिम संगठन और नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ‘शरिया कानून बदला नहीं जा सकता. केंद्र सरकार को तीन तलाक के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने की सलाह देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने हाल ही में दावा किया था कि 90 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं शरिया कानून का समर्थन करती हैं.
गत 7 अक्तूबर को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिमों में जारी तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथाओं का विरोध किया था और लैंगिक समानता एवं धर्मनिरपेक्षता के आधार पर इनपर दोबारा गौर करने की वकालत की थी.
कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय नियमों, धार्मिक प्रथाओं और विभिन्न इस्लामी देशों में मार्शल लॉ का उल्लेख करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत को तीन तलाक और बहुविवाह के मुद्दे पर नए सिरे से निर्णय देना चाहिए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं