मुख्यमंत्री पेमा खांडू का फाइल फोटो
इटानगर:
अरुणाचल प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है. अरुणाचल प्रदेश पीपुल्स पार्टी (पीपीए) ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, उप-मुख्यमंत्री चोवना मेन समेत 7 नेताओं को निलंबित कर दिया है.
निलंबित नेताओं में जेम्बी टाशी, पासांग दोरजी सोना, जिंगनू नामचोम और कामलुंग मोसांग शामिल हैं. बीते सितंबर में पेमा खांडू अपने 42 समर्थकों के साथ पीपीए में शामिल हुए थे.
पीपीए अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने बताया कि ये लोग पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं. पार्टी ने इन लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए इनकी प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी है. पार्टी के इस कदम के बाद से पेमा खांडू अब पीपीए विधायक दल के नेता नहीं रहे हैं. पार्टी ने इस फैसले के बारे में विधानसभा के अध्यक्ष को भी पत्र लिखकर अवगत करा दिया है.
बता दें कि यह राज्य बीते एक साल से राजनीतिक उठापटकों का गवाह रहा है. गत दिसंबर में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के 19 विधायक बागी हो गए थे. इनके साथ 2 निर्दलीय विधायक भी थे. उस समय नबम तुकी मुख्यमंत्री थे. बागी नेता कलिखो पुल खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे.
पार्टी में बगावत होने से केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. बाद में कलिखो पुल ने भाजपा के सहयोग से बहुमत साबित करने का दावा किया था, लेकिन कांग्रेस ने केंद्र सरकार के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार के कदम को अनुचित ठहराते हुए नबम तुकी को ही बहाल कर दिया था. अगस्त के महीने में कांग्रेस से दूर हुए कलिखो पुल ने आत्महत्या कर ली थी.
निलंबित नेताओं में जेम्बी टाशी, पासांग दोरजी सोना, जिंगनू नामचोम और कामलुंग मोसांग शामिल हैं. बीते सितंबर में पेमा खांडू अपने 42 समर्थकों के साथ पीपीए में शामिल हुए थे.
पीपीए अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने बताया कि ये लोग पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं. पार्टी ने इन लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए इनकी प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी है. पार्टी के इस कदम के बाद से पेमा खांडू अब पीपीए विधायक दल के नेता नहीं रहे हैं. पार्टी ने इस फैसले के बारे में विधानसभा के अध्यक्ष को भी पत्र लिखकर अवगत करा दिया है.
बता दें कि यह राज्य बीते एक साल से राजनीतिक उठापटकों का गवाह रहा है. गत दिसंबर में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के 19 विधायक बागी हो गए थे. इनके साथ 2 निर्दलीय विधायक भी थे. उस समय नबम तुकी मुख्यमंत्री थे. बागी नेता कलिखो पुल खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे.
पार्टी में बगावत होने से केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. बाद में कलिखो पुल ने भाजपा के सहयोग से बहुमत साबित करने का दावा किया था, लेकिन कांग्रेस ने केंद्र सरकार के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार के कदम को अनुचित ठहराते हुए नबम तुकी को ही बहाल कर दिया था. अगस्त के महीने में कांग्रेस से दूर हुए कलिखो पुल ने आत्महत्या कर ली थी.
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