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This Article is From Jun 17, 2021

तीसरी लहर का बच्चों पर ज्यादा असर होने की संभावना नहीं, WHO-AIIMS के सर्वे में हुआ खुलासा

WHO और एम्स (AIIMS) की स्टडी में पता चला है कि भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) की तीसरी संभावित लहर (Third wave) में वयस्कों की तुलना में बच्चों पर कोरोना का ज्यादा प्रभाव नही पड़ेगा. स्टडी देश के पांच राज्यों में हुई जिसमें 10 हजार सैम्पल लिए गए थे.

तीसरी लहर का बच्चों पर ज्यादा असर होने की संभावना नहीं, WHO-AIIMS के सर्वे में हुआ खुलासा
परिणाम बताते हैं कि बच्चे और वयस्क समान रूप से संवेदनशील हैं
नई दिल्ली:

WHO और एम्स (AIIMS) की स्टडी में पता चला है कि भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) की तीसरी संभावित लहर (Third wave) में वयस्कों की तुलना में बच्चों पर कोरोना का ज्यादा प्रभाव नही पड़ेगा. स्टडी देश के पांच राज्यों में हुई जिसमें 10 हजार सैम्पल लिए गए थे. एम्स के एक अध्ययन के मुताबिक बच्चों में सेरो-पॉजिटिविटी रेट वयस्कों से ज्यादा थी।वायरस के मौजूदा वैरिएंट से तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की संभावना कम है. स्टडी के लिए 15 मार्च 2021 से 10 जून 2021 के डेटा कलेक्ट किए गए हैं. कुल मौजूद डेटा में से 4509 लोगों ने सर्वे में भाग लिया जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के 700 लोग थे और 18 साल से अधिक के 3809 थे. 18 से कम उम्र के लोगों में सेरो पॉजिटिविटी 55.7 फीसदी थी, वहीं 18 से ज्यादा उम्र वालों में 63.5% थी.

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अध्ययन दिल्ली, फरीदाबाद, भुवनेश्वर, गोरखपुर और अगरतल्ला में हुआ है. स्टडी के फाइनल नतीजे दो से तीन महीने में आएंगे. भारत में महामारी की पहली लहर के दौरान, सबसे बुरी तरह दिल्ली सहित बड़े शहरी क्षेत्र प्रभावित थे. इस साल मार्च के दूसरे पखवाड़े के दौरान डेटा एकत्र किया गया. यह वो समय था जब पहली लहर कम हो रही थी और दूसरी लहर नहीं आई थी.

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परिणाम बताते हैं कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा पहले ही इससे संक्रमित हो चुका था. बच्चों और वयस्कों के बीच सीरो-पॉजिटिविटी दर में अंतर बताता है कि जैसे-जैसे बीमारी बढ़ रही है ये सभी आयु वर्ग को समान रूप से प्रभावित कर रही है. महामारी के दौरान स्कूल बंद थे और वयस्कों की तुलना में बच्चे घरों में ज्यादा रहे. लेकिन बच्चों के लिए, संक्रमण का स्रोत ये रहा जब घर के बड़ी उम्र के लोग काम काज के लिए घर से बाहर निकले और अपने साथ इंफेक्शन लेकर घर आए. कुल मिलाकर, परिणाम बताते हैं कि बच्चे और वयस्क समान रूप से COVID 19 संक्रमण के लिए संवेदनशील हैं.

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