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This Article is From Jul 02, 2018

पहले माह में कमजोर रहा मॉनसून, औसत से सात फीसदी कम बारिश

दक्षिण -पश्चिम मॉनसून सीज़न के दौरान एक जून से एक जुलाई के बीच औसत से सात फीसदी कम बारिश, सरकार चिंतित

पहले माह में कमजोर रहा मॉनसून, औसत से सात फीसदी कम बारिश
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के पहले महीने में एक जून से एक जुलाई के बीच देश में सात फीसदी कम बारिश हुई है. सबसे कम बारिश उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडीशा और झारखंड में हुई है. 

दक्षिण -पश्चिम मॉनसून सीज़न के दौरान एक जून से एक जुलाई के बीच औसत से सात फीसदी कम बारिश ने सरकार में खतरे की घंटी बजा दी है. मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश में औसत से 59% कम और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 48% कम बारिश हुई है.

अगर क्षेत्र की बात करें तो सबसे कम बारिश पूर्वी भारत के राज्यों में दर्ज की गई है. बिहार में एक जुलाई तक औसत से 39% कम, ओडिशा में औसत से 28% कम और पश्चिम बंगाल में 19% कम बारिश रिकार्ड की गई है. झारखंड में औसत से 37% कम, असम में औसत से 26% कम मॉनसून की बारिश हुई है. गुजरात क्षेत्र में 34% कम और सौराष्ट्र-कच्छ इलाके में 86% कम बारिश हुई है. यानी पूरे देश में सबसे कम बारिश हुई है.

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मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक चरण सिंह ने एनडीटीवी से कहा कि जून महीने में 13 जून के आसपास मॉनसून में करीब दस दिन का ठहराव आ गया था जिस वजह से कई राज्यों में औसत से कम बारिश रिकार्ड की गई है. फिलहाल हालात पर नज़र रखी जा रहा है. उम्मीद मॉनसून के सुधरने की है. मौसम भवन के वरिष्ठ वैज्ञानिक आनंद शर्मा कहते हैं, अगर जुलाई में उम्मीद के मुताबिक औसत का 101% बारिश होती है तो हालात सुधरेंगे. 

VIDEO : जून में मॉनसून ने किया निराश

कुछ जानकार मानते हैं कि 10 जुलाई तक यूपी, बिहार, झारखंड और गुजरात में बारिश का यही हाल रहा तो कुछ high yield की फसलों की बुवाई में देरी भी होगी और उनकी क्वालिटी पर असर भी पड़ेगा. हालांकि पूर्व कृषि सचिव शिराज़ हुसैन कहते हैं कि फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है और अब तक जिन राज्यों में मानसून कमजोर रही है वहां बुआई पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा है. वो ये भी दावा करते हैं कि कुछ किसान भारत सरकार की तरफ से खरीफ की फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऐलान का इंतज़ार भी कर रहे होंगे और संभव है कि वो उन्हीं फसलों को बोने का फैसला करें जिस पर उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य सबसे ज़्यादा मिले.

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