अर्चना रामासुंदरम
नई दिल्ली:
देश में पहली बार किसी अर्द्धसैनिकबल की कमान महिला को सौंपी गई है। नेपाल और भूटान सीमा पर तैनात एसएसबी की प्रमुख बनी हैं अर्चना रामासुंदरम।
एसएसबी, यानी सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने अपनी नई महानिदेशक को आज गार्ड ऑफ ओनर दिया। ये एक नई शुरुआत है। पहली बार कोई महिला किसी अर्द्धसैनिक बल की प्रमुख बनाई गई है। तमिलनाडु काडर की 1980 बैच की आइपीएस अफ़सर अर्चना रामासुंदरम इसके पहले नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो में स्पेशल डायरेक्टर रहीं।
अर्चना रामासुंदरम कहती है, 'देखिए सीनियर पदों पर आने में वक्त तो लगता ही है लेकिन अच्छी बात है कि शुरुआत तो हुई है। 72000 जवानों वाली एसएसबी नेपाल और भूटान की सीमा पर होती है। नक्सल विरोधी कार्रवाइयों में भी एसएसबी लगी है।
लेकिन महिलाएं इसमें 2000 से भी कम हैं। इसका एहसास नई प्रमुख को है। तभी तो एसएसबी की नई डीजी कहती हैं कि महिलाओं में किसी भी हालत में प्रतिभा की कमी नहीं है बस उन्हें अवसर की प्रतीक्षा है। मेरी कोशिश होगी यहां महिलाओं की तादाद बढ़ाई जा सके। देश में छह अर्द्धसैनिक बल हैं। सबसे बड़ी सीआरपीएफ है, लेकिन उसमें भी महिलाएं बस 10 फ़ीसदी के आसपास हैं। सबसे कम आईटीबीपी में हैं। डेढ़ फ़ीसदी से भी नीचे।
उन्होंने कहा कि ऐसे पद के लिए लीडरशिप की क्वालिटी होनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि मुझपर जो भरोसा जताया गया है मैं उसे पूरी तरह से सही साबित करूंगी। इसके साथ उनका मानना है कि यह एक बड़ी शुरुआत है- भरोसा करना चाहिए कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
एसएसबी, यानी सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने अपनी नई महानिदेशक को आज गार्ड ऑफ ओनर दिया। ये एक नई शुरुआत है। पहली बार कोई महिला किसी अर्द्धसैनिक बल की प्रमुख बनाई गई है। तमिलनाडु काडर की 1980 बैच की आइपीएस अफ़सर अर्चना रामासुंदरम इसके पहले नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो में स्पेशल डायरेक्टर रहीं।
अर्चना रामासुंदरम कहती है, 'देखिए सीनियर पदों पर आने में वक्त तो लगता ही है लेकिन अच्छी बात है कि शुरुआत तो हुई है। 72000 जवानों वाली एसएसबी नेपाल और भूटान की सीमा पर होती है। नक्सल विरोधी कार्रवाइयों में भी एसएसबी लगी है।
लेकिन महिलाएं इसमें 2000 से भी कम हैं। इसका एहसास नई प्रमुख को है। तभी तो एसएसबी की नई डीजी कहती हैं कि महिलाओं में किसी भी हालत में प्रतिभा की कमी नहीं है बस उन्हें अवसर की प्रतीक्षा है। मेरी कोशिश होगी यहां महिलाओं की तादाद बढ़ाई जा सके। देश में छह अर्द्धसैनिक बल हैं। सबसे बड़ी सीआरपीएफ है, लेकिन उसमें भी महिलाएं बस 10 फ़ीसदी के आसपास हैं। सबसे कम आईटीबीपी में हैं। डेढ़ फ़ीसदी से भी नीचे।
उन्होंने कहा कि ऐसे पद के लिए लीडरशिप की क्वालिटी होनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि मुझपर जो भरोसा जताया गया है मैं उसे पूरी तरह से सही साबित करूंगी। इसके साथ उनका मानना है कि यह एक बड़ी शुरुआत है- भरोसा करना चाहिए कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
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