प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले में शामिल नई मर्सिडीज मेबैक एस 650 कार (Mercedes-Maybach S650 Guard) को लेकर तरह-तरह की खबरें चल रही हैं. इसकी कीमत 12 करोड़ रुपये बताई जा रही है. कार को लेकर चल रही खबरों के बीच सरकारी सूत्रों ने बुधवार को सफाई दी. सूत्रों के अनुसार, कारों की कीमत उतनी नहीं है जितनी मीडिया में बताई जा रही है.
उन्होंने कहा किएक कार की कीमत मीडिया में आई कीमत की करीब एक तिहाई है. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि पीएम के काफिले में शामिल नई मेबैक कार की कीमत 12 करोड़ रुपए प्रति कार है. प्रधानमंत्री के लिए इस तरह की दो गाड़ियां खरीदी गई हैं.
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा करने वाली एसपीजी (SPG) का नियम है कि जिस व्यक्ति की सुरक्षा की जा रही है. उसकी सुरक्षा में लगे वाहनों को हर 6 साल में बदल दिया जाए. पीएम मोदी के सुरक्षा काफिले में लगी कारें 8 साल से इस्तेमाल में आ रही थीं. यहां तक कि ऑडिट के दौरान इस मुद्दे को लेकर आपत्ति भी जताई गई थी. कहा गया था कि इससे जिस व्यक्ति को सुरक्षा दी जा रही है उसके जीवन से समझौता हो सकता है.
सूत्रों के अनुसार, नई कार अपग्रेड नहीं है बल्कि रूटीन रिप्लेसमेंट है क्योंकि बीएमडब्ल्यू ने उन कारों को बनाना बंद कर दिया है, जो पहले काफिले का हिस्सा थीं. काफिले से जुड़ा खरीद का फैसला प्रोटेक्टी को खतरे के हिसाब से आंका जाता है. यह फैसला एसपीजी स्वयं करती है और इसमें उस व्यक्ति की राय नहीं ली जाती है जिसे सुरक्षा दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि पीएम की नई कार के सुरक्षा फीचर के बारे में सार्वजनिक रूप से चर्चा करना राष्ट्रीय हित में नहीं है क्योंकि इससे अनावश्यक रूप से संवेदनशील जानकारी बाहर आती है. इससे उस व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है, जिसकी सुरक्षा की जा रही है.
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कभी नहीं कहा कि काफिले में कौन-सी कार शामिल की जाए. इसके उलट पिछली सरकार में सोनिया गांधी ने उन रेंज रोवर्स कारों का इस्तेमाल किया, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए खरीदी गई थीं.
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