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आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने पीएमओ को खत लिखकर यह जानना चाहा था कि जब पिछले साल उनकी पीआईएल पर जानकारी मांगी गई थी तब पीएमओ का क्या रुख था। उन्होंने यह भी पूछा था कि उनकी पीआईएल को किस-किस मंत्रालय को भेजा गया था (अगर भेजा गया था तब)। अगर मंत्रालयों को
आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने पीएमओ को खत लिखकर यह जानना चाहा था कि जब पिछले साल उनकी पीआईएल पर जानकारी मांगी गई थी तब पीएमओ का क्या रुख था। उन्होंने यह भी पूछा था कि उनकी पीआईएल को किस-किस मंत्रालय को भेजा गया था (अगर भेजा गया था तब)। अगर मंत्रालयों को भेजा गया था तब पीएमओ ने क्या चिट्ठी लिखी थी।
पीएमओ ने अपने जवाब में लिखा है कि यह सारी जानकारी गोपनीय है, इसलिए नहीं बताई जा सकती है।
पिछले साल एक पीआईएल के जरिये ठाकुर ने कोर्ट से मांग की थी कि वह किसी जांच एजेंसी को आदेशित करे कि वह रॉबर्ट वाड्रा के डीएलएफ से रिश्तों की जांच करे। हाईकोर्ट ने ठाकुर की इस अपील को इस वर्ष मार्च में खारिज कर दिया था जब सरकार ने कोर्ट में कहा कि वह इस आदेश को देने के लिए अधिकृत नहीं है। सरकार की ओर से कहा गया कि दो निजी लोगों के बीच में व्यापारी लेन-देन के बारे में कोर्ट को जांच देने का अधिकार नहीं है।
इस मामले में कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि यह अपील पूर्ण रूप से मीडिया में आई खबरों के आधार पर दायर की गई है और इसमें लगाए गए आरोपों का एक भी सबूत नहीं है।
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