विज्ञापन
This Article is From Aug 04, 2011

'ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के बांध निर्माण से नुकसान नहीं'

New Delhi: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि चीन ने आश्वासन दिया है कि तिब्बत में ब्रहमपुत्र नदी पर बनाए जा रहे बांध से भारत के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा। सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान विदेशमंत्री एसएम कृष्णा से पूछे गए एक पूरक प्रश्न के जवाब में हस्तक्षेप करते हुए कहा,  भारत और चीन पड़ोसी हैं और चीन के साथ यथासंभव अच्छे संबंध रखना हमारे हित में हैं। चीन ने हमें आश्वासन दिया है कि ऐसा कुछ नहीं किया जाएगा जिससे भारत के हितों पर प्रतिकूल असर पड़े। उन्होंने कहा कि चीन के तिब्बत स्वशासी क्षेत्र में जांगमू में ब्रहमपुत्र नदी पर बांध के निर्माण के मुद्दे पर साम्यवादी देश के साथ बार-बार चर्चा की गई। यह बांध गतिमान पनबिजली परियोजना (रन ऑफ द रिवर) है जिसमें जल संग्रह नहीं किया जाता और इससे भारत के निचले इलाकों पर प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। सिंह ने कहा,  हम चीन के बयान पर भरोसा करते हैं लेकिन हमने अपनी ओर से भी जांच की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरराज्यीय महत्व की नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर कभी-कभी समस्या हो जाती है। बहरहाल, ब्रह्मपुत्र नदी के मामले में चीन की ओर से दिए गए आश्वासन को देखते हुए कोई अनावश्यक विवाद नहीं खड़ा किया जाना चाहिए जिससे संबंधों को नुकसान पहुंचे। विदेश मंत्री एस कृष्णा ने कुसुम राय के मूल प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार को तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र में जांगमू में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध का निर्माण किए जाने की जानकारी है। उन्होंने कहा कि गत दिसंबर में चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा के दौरान यह मुद्दा उनके समक्ष उठाया गया था। उन्होंने कहा, सरकार ने जांच की है कि यह एक गतिमान पन बिजली परियोजना है जिसमें पानी का संग्रह नहीं किया जाता और इससे भारत के निचले इलाकों पर प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। कृष्णा ने कहा, बांध के बारे में चीन की सरकार ने उच्च स्तर पर प्रधानमंत्री को आश्वस्त किया है। हमने अपने स्तर पर भी चीन के इस दावे की जांच की कि यह एक गतिमान पन बिजली परियोजना है और इसमें जल संग्रह नहीं किया जाता। विदेशमंत्री ने एचके दुआ के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि पड़ोसी देश के घटनाक्रम को देखते हुए सरकार राष्ट्र हित में हर संभव कदम उठाती है। उन्होंने सपा के रामगोपाल यादव के पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि राष्ट्रहित को देखते हुए सीमा पार होने वाली गतिविधियों पर सरकार लगातार नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि जल ग्रहण क्षेत्र (केचमेंट एरिया) का 80 फीसदी भाग भारतीय क्षेत्र में है और यह बात भी महत्वपूर्ण है कि अरूणाचल प्रदेश और असम राज्य ब्रह्मपुत्र के पानी का उपयोग करते हैं। कृष्णा ने कहा, चीन के प्रधानमंत्री ने कहा था कि उपरी इलाकों पर चीन की विकास संबंधी गतिविधियां वैज्ञानिक अध्ययन और योजना पर आधारित हैं और इनसे निचले इलाकों के हितों को नुकसान नहीं होगा। ईएमएस सुदर्शन नचिअप्पन के पूरक प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद पर विचारविमर्श करने के लिए एक विशेषज्ञ स्तरीय व्यवस्था है जिस पर 2006 में सहमति हुई थी। समय-समय पर विशेषज्ञों की बैठक होती है और इस विवाद के समाधान की कोशिश की जाती है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर महिलाओं में कैसा उत्‍साह... जानें किस पार्टी के उम्‍मीदवार सबसे ज्‍यादा अमीर?
'ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के बांध निर्माण से नुकसान नहीं'
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Next Article
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com