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This Article is From Jan 01, 2017

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार खास घोषणा और इन के बारे में क्या कहना विशेषज्ञों का

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार खास घोषणा और इन के बारे में क्या कहना विशेषज्ञों का
31 दिसंबर की शाम राष्ट्र को संबोधित करते पीएम नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली: शनिवार 31 दिसंबर की शाम 7.30 बजे का सभी को बेसब्री से इंतजार था. वर्ष 2016 का आखिरी दिन और 2017 के आरंभ होने से कुछ घंटे पहले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को संबोधित करने वाले थे. पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कुछ योजनाओं की घोषणा की.

किसानों के लिए रुपे कार्ड, गर्भवती महिलाओं को लिए 6000 रुपया देने की साथ-साथ छोटे व्यापारियों के लिए भी कुछ सुविधा की बात कही. होम लोन ने कम ब्याज दर की भी बात कही है. पीएम मोदी की घोषणाओं पर एनडीटीवी ने चार विशेषज्ञों से बात की. चलिए जानते है प्रधानमंत्री मोदी ने क्या-क्या घोषणा की है और अलग-अलग विशेषज्ञों का इस घोषणा के बारे में क्या सोचना है.

किसानों के लिए क्या खास है
डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव सेंट्रल बैंक और प्राइमरी सोसायटी से जिन किसानों ने खरीफ और रबी की बुवाई के लिए कर्ज लिया था, उस कर्ज के 60 दिन का ब्याज सरकार वहन करेगी और किसानों के खातों में ट्रांसफर करेगी. कोऑपरेटिव बैंक और सोसायटीज़ से किसानों को और ज़्यादा कर्ज मिलेगा. सरकार ने यह भी तय किया है कि अगले तीन महीने में तीन करोड़ किसान क्रेडिट कार्डों को रुपे कार्ड में बदला जाएगा. किसान क्रेडिट कार्ड में एक कमी यह थी कि पैसे निकालने के लिए बैंक जाना पड़ता था. अब जब किसान क्रेडिट कार्ड को RUPAY कार्ड में बदल दिया जाएगा, तो किसान कहीं पर भी अपने कार्ड से खरीद-बिक्री कर पाएगा.

क्या कहना है कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा का
दो बातें, पहले तो यह जो सारी योजना की घोषणा की गई है, मैं इसका स्वागत करता हूं. लेकिन इसके लिए नोटबंदी की क्या जरूरत थी. यह तो बिना नोटबंदी के भी हो सकता था. किसानों के लिए प्रधानमंत्री ने कोई ज्यादा फ़ायदे की बात नहीं कही है. नोटबंदी की वजह से किसानों की इनकम 50 से 70 प्रतिशत तक गिर गई है. उनको कुछ नहीं मिला. प्रधानमंत्री जी ने यह किसान क्रेडिट कार्ड को रुपया कार्ड बना दिया इससे कोई ज्यादा फ़ायदा नहीं होने वाला है.

इससे डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन इससे किसानों का पेट नहीं भरेगा. नोटबंदी की वजह से किसानों को जो मार पड़ी है उसको कम करने के लिए प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं किया. मैं यह चाहता था अगर वाकई प्रधानमंत्री जी को किसानों को फ़ायदा पहुंचाना है तो किसानों ने जो बैंकों से लोन लिए हैं उसको माफ़ कर देना चाहिए था. ब्याजदर भी कम कर देनी चाहिए. अगर ऐसा करते तो नोटबंदी की वजह से जो नुक्सान हुआ है, कर्ज़ माफ़ से तुरंत रिलिफ किसानों को मिल जाता. प्रधानमंत्री जी को मिनिमम सपोर्ट प्राइस भी बढ़ाना चाहिए था.

कारोबारियों के लिए क्या खास है
सरकार ने छोटे कारोबारियों के लिए क्रेडिट गारंटी एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया है. अब तक यह नियम था कि एक करोड़ रुपये तक के लोन को कवर किया जाता था. अब 2 करोड़ रुपये तक का लोन क्रेडिट गारंटी से कवर होगा. NBFC यानि नॉन-बैंकिंग फ़ाइनेंशियल कंपनी से दिया गया लोन भी इसमें कवर होगा. सरकार ने बैंकों को यह भी कहा है कि छोटे उद्योगों के लिए कैश क्रेडिट लिमिट को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करें. इसके अलावा डिजिटल माध्यम से हुए ट्रांजेक्शन पर बैंकिंग कैपिटल लोन 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत तक करने को कहा गया है.

क्या कहना है ट्रेड यूनियन लीडर प्रवीण खंडेलवाल का
ट्रेड यूनियन लीडर प्रवीण खंडेलवाल ने इस निर्णय का स्वागत किया है. प्रवीण मानते हैं कि यह भविष्य का बजट का संकेत है. प्रवीण का कहना है “जो घोषणा प्रधानमंत्री जी ने की है वह सही ढंग से लागू हो जाए उसके लिए जो भी सरकारी आदेश निकालना है, उसे सरकार तुरंत निकाले. प्रधानमंत्री जी ने बैंकों के संबंध में जितने बातें कही हैं इसका बैंक पालन करें. इसका मैकेनिज्म सुनिश्चित होना चाहिए. कुल मिलाकर पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने उद्योग की वजह छोटे कारोबारियों को महत्व दिया है. यह प्रधानमंत्री की सोच को दर्शाता है. इसका हम स्वागत करते हैं. यह जो सुविधा देने की बात की है प्रधानमंत्री जी ने, वह ठीक से लागू हो रही है या नहीं उस पर नज़र रखने के लिए एक कमेटी बनाई जाए जिसमें अधिकारियों के साथ-साथ व्यापारी भी शामिल हो.

होम लोन में कितने तक की ब्याज में छूट दी गई है
अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2017 में घर बनाने के लिए 9 लाख रुपये तक के कर्ज पर ब्याज में 4 प्रतिशत की छूट और 12 लाख रुपये तक के कर्ज पर ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गावों में बनने वाले घरों की संख्या को बढ़ा दिया गया. यानि 33 प्रतिशत ज़्यादा घर बनाए जाएंगे. 2017 में गांव के जो लोग अपने घर का निर्माण करना चाहते हैं या विस्तार करना चाहते हैं, एक-दो कमरे और बनाना चाहते हैं, ऊपर एक मंज़िल बनाना चाहते हैं, उन्हें 2 लाख रुपये तक के ऋण में 3 प्रतिशत ब्याज की छूट दी जाएगी.

क्या कहना है हाउसिंग एक्सपर्ट हर्ष रूंगटा का
हाउसिंग लोन पर ब्याज रेट कम करना और नए घर बनाने की बात जो प्रधानमंत्री जी ने कही है वह सब बहुत अच्छी बात है.
हर्ष रूंगटा का कहना है कि “प्रधानमंत्री जी ने निराश किया है. उनकी स्पीच एक बजट स्पीच की तरह थी. नोटबंदी के बाद एक बहुत बड़ी घोषणा की उम्मीद की जा रही थी. हम कुछ ऐसा उम्मीद कर रहे थे जैसे प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के घोषणा के रूप में किया था. समाज के लगभग सभी वर्ग के लोगों ने प्रधानमंत्री के नोटबंदी का समर्थन किया था. लोगों को तकलीफ़ हुई लेकिन फिर भी लोगों ने सपोर्ट किया. लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि प्रधानमंत्री कोई एक बहुत बड़ा कदम उठाएंगे. राजनीति में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ कदम उठाएंगे, ब्यूरोक्रेसी में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ कदम उठाएंगे, लेकिन प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या कदम उठा रहे हैं उस के बारे में कुछ नहीं कहा. सरकार नोटबंदी ने जैसा साहसी कदम उठाया था इस तरह एक और साहसी कदम उठाने की जरूरत थी.

गर्भवती महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री जी ने यह घोषणा की
देश के सभी 650 से ज़्यादा जिलों में सरकार गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में पंजीकरण और डिलीवरी, टीकाकरण और पौष्टिक आहार के लिए 6,000 रुपये की आर्थिक मदद करेगी. यह राशि गर्भवती महिलाओं के एकाउंट में ट्रांसफर की जाएगी. वर्तमान में यह योजना 4,000 की आर्थिक मदद के साथ देश के सिर्फ 53 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चलाई जा रही थी.

क्या कहना है एक्टिविस्ट कविता श्रीवास्तव का
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल 2013 में बने बिल में गर्भवती महिलाओं के हक़ की बात कही गई थी. इसमें यह प्रावधान था कि गर्भवती महिलायों को 6000 रुपया मिलेगा. लेकिन यह तीन सालों से लागू नहीं हो पाया था. आज प्रधानमंत्री इसे लागू करने की बात कही है. यह गर्भवती महिलाओं का क़ानूनी हक़ है. बहुत अच्छी बात है कि सरकार ने ऐसा किया है, लेकिन प्रधानमंत्री जी को बजट में घोषणा करना चाहिए था. लगभग हर साल इस देश में तीन करोड़ बच्चे पैदा होते हैं, इस तरह 6000 करोड़ के हिसाब से 18000 करोड़ बजट की जरूरत है. प्रधानमंत्री जी को बजट घोषणा भी करना चाहिए था. यह कोई योजना नहीं, यह क़ानूनी हक़ है जो भारतीय संसद ने महिलायों को दिया है, लेकिन तीन सालों से यह लागू नहीं हुआ था.

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