पिछले साल जून में सरकार तीन कृषि कानूनों का अध्यादेश जारी किया था, ये कानून भी बन गए थे और आज 19 नवंबर, 2021 को उसने इन्हें वापस भी ले लिया. एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में शुक्रवार को इन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी. मोदी सरकार के इस कदम पर विपक्ष अपनी जीत के साथ फूला नहीं समा रहा. बड़ी संख्या में अलग-अलग विपक्षी पार्टी के नेताओं ने एक ओर इस कदम पर खुशी जताई है, वहीं सरकार पर निशाने साधने से भी पीछे नहीं रही है.
राहुल गांधी ने जहां अपना एक पुराना वीडियो शेयर किया, जिसमें वो यह दावा कर रहे हैं कि सरकार को ये कानून वापस लेने के लिए मजबूर होना होगा. वहीं, प्रियंका गांधी ने सीधे पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनपर 'कैसे भरोसा किया जाए?'
प्रियंका का तीखा वार
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि '600 से अधिक किसानों की शहादत. 350 से अधिक दिन का संघर्ष. जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी. आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला, ..उनपर लाठियाँ बरसायीं, उन्हें गिरफ़्तार किया. अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी - कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती. .. आपकी नियत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है.'
..उनपर लाठियाँ बरसायीं, उन्हें गिरफ़्तार किया।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 19, 2021
अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी - कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती। 2/3
राहुल गांधी ने शेयर किया पुराना वीडियो
राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा कि 'देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया. अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!' इसके अलावा उन्होंने 14 जनवरी, 2021 को ट्विटर पर शेयर किए गए एक अपना वीडियो भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'मेरे शब्दों पर गौर करिए, मुझसे सुनिए, सरकार को इन कानूनों को वापस लेने को मजबूर होना पड़ेगा. याद रखिएगा मैंने क्या कहा है.'
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अन्य विपक्षी नेताओं ने भी भरा दम
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि 'अहंकार की हार होती है. घमंड भरे रवैये से आज आप अपने घुटनों के बल आ गए है.'
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव की ओर से भी सरकार के इस फैसले पर बयान जारी किया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह किसान की जीत है, देश की जीत है. यह पूंजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश-भाजपा सरकार और उनके अंहकार की हार है. विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक किसान आंदोलन ने पूँजीपरस्त सरकार को झुकने पर मजबूर किया. आंदोलनजीवियों ने दिखाया कि एकता में शक्ति है। यह सबों की सामूहिक जीत है. बिहार और देश में व्याप्त बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण के ख़िलाफ हमारी जंग जारी रहेगी.
बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने कहा कि सरकार ने इन विवादित कानूनों को वापस लेने की घोषण बहुत देर से की, सरकार को यह फैसला पहले ही ले लेना चाहिए था. उन्होंने कहा अगर यह फैसला सरकार पहले ले लेती तो देश कई प्रकार के झगड़े व झंझटों से बच जाता.
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