प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मॉरिशस के पोर्ट लुई में वहां के सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया. उन्होंने मॉरिशस के अपने समकक्ष यानी मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रवींद जगन्नाथ के साथ बिल्डिंग का उद्घाटन किया. दरअसल, भारत ने इस बिल्डिंग के निर्माण में दोनों देशों के बीच डेवलपमेंट को-ऑपरेशन यानी पारस्परिक विकास की साझेदारी के तहत सहयोग किया है. इस वर्चुअल इवेंट के दौरान पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर उसपर निशाना भी साधा.
पीएम ने कहा कि मॉरिशस के पोर्ट लुई में भारत-मॉरिशस के सहयोग के तहत बना सुप्रीम कोर्ट का भवन दोनों देशों के बीच साझा मूल्यों का प्रतीक है.
Inaugurating the Supreme Court Building of Mauritius with PM @PKJugnauth. https://t.co/YhxXSsmoOg
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2020
पीएम ने कहा कि 'इतिहास ने हमें सिखाया है कि विकास की साझेदारी के नाम पर बहुत से देशों को निर्भरता की साझेदारी के लिए मजबूर किया गया. इससे साम्राज्यवादी और औपनिवेशिक शासन को बढ़ावा मिला. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताकतों में टकराव भी बढ़ा.'
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पीएम मोदी का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब भारत और चीन के बीच तनाव चल रहा है, वहीं के चीन के 'global debt-diplomacy' यानी दूसरे देशों को कर्ज देने की कूटनीति की चर्चा हो रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि चीन दूसरे देशों को कर्ज देने के बाद उनके साथ अगर डील करता है तो कर्ज देने की बिना पर या न लौटा पाने की स्थिति वो डील को अपने फायदे के हिसाब से रखता है.
पीएम मोदी ने कहा, 'भारक के लिए विकास की साझेदारी में सबसे अहम सिद्धांत अपने सहयोगी देश का सम्मान करना है. विकास की सीख एक दूसरे के साथ साझा करना ही हमारी एकमात्र प्रेरणा है, इसलिए हमारी विकास की साझेदारी किसी शर्त के साथ नहीं आती है.'
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