सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय सेना को जाता है, लेकिन फैसला सरकार ने लिया : मनोहर पर्रिकर

सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय सेना को जाता है, लेकिन फैसला सरकार ने लिया : मनोहर पर्रिकर

रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर

खास बातें

  • रक्षामंत्री पर्रिकर ने सर्जिकल स्ट्राइक के लिए पीएम मोदी को श्रेय दिया
  • पर्रिकर ने कहा कि खुद उनका रोल सिर्फ फैसला लेने और योजना बनाने तक था
  • इससे पहले विपक्ष ने सरकार पर स्ट्राइक का श्रेय लेने का आरोप लगाया है
मुंबई:

एक तरफ सरकार पर यह आरोप लग रहे हैं कि वह बिना वजह एलओसी पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय ले रही है, वहीं रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि इसमें कोई शक नहीं कि इस सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय 100 प्रतिशत सेना को जाता है लेकिन इस निडर फैसले के लिए सरकार की भी तारीफ की जानी चाहिए. इससे थोड़ी देर पहले एक कार्यक्रम में पर्रिकर ने यह भी कहा था कि इस ऑपरेशन का श्रेय प्रधानमंत्री को जाना चाहिए. उन्होंने अपनी भूमिका की बात करते हुए कहा था कि 'मैंने तो बस 'फैसला लेने और योजना तैयार' करने का काम किया है.'

गौरतलब है कि राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कई वरिष्ठ मंत्री 29 सितंबर को हुई सैन्य कार्यवाही में सरकार के रोल को बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत कर रहे हैं. हालांकि पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों से इस मामले में सावधानी बरतने और सर्जिकल स्ट्राइक के लिए खुद की पीठ थपथपाने से बचने के लिए कहा था. मंगलवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पीएम ने साबित कर दिया है कि भारत कमज़ोर देश नहीं है. उधर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का बयान था कि सेना की हिम्मत की दाद देनी होगी लेकिन पीएम की राजनीतिक इच्छाशक्ति का उस स्ट्राइक की सफलता के पीछे बहुत बड़ा हाथ है जो कि '100 परसेंट परफेक्ट' साबित हुई.

कांग्रेस ने दावा किया है कि जब वह सत्ता में थी तब भी सीमा पार छापे मारे गए ते लेकिन पार्टी ने इस सैन्य कार्यवाही को सार्वजनिक इसलिए नहीं किया क्योंकि तब की सरकार नहीं चाहती थी कि पाकिस्तान के साथ मतभेद बढ़ें. साथ ही सेना को भी इस तरह के संवेदनशील ऑपरेशन करने के लिए जरूरी गोपनीयता मिल सके. उधर पाकिस्तान ने किसी भी तरह की सर्जिकल स्ट्राइक के होने के दावे को नकारा है. अरविंद केजरीवाल समेत विपक्ष में बैठी पार्टियों ने सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत पेश करने के लिए कहा है ताकि पाकिस्तान के झूठ को सामने लाया जा सके. हालांकि कई मंत्रियों ने सबूत की इस मांग को पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाने जैसा बताया है.


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