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This Article is From Jul 05, 2016

मंत्रिमंडल विस्‍तार के जरिये यूपी में बसपा के वोट बैंक को साधने का प्रयास

मंत्रिमंडल विस्‍तार के जरिये यूपी में बसपा के वोट बैंक को साधने का प्रयास
पीएम नरेंद्र मोदी का फाइल फोटो
लखनऊ: मोदी सरकार के विस्तार में उत्तर प्रदेश से मंत्रिमंडल में तीन नये चेहरों को शामिल करने को भाजपा के दलित समुदाय तक पहुंच बनाने और राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा के सामाजिक इंजीनियरिंग में सेंध लगाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। मंत्रिमंडल में अब उत्तर प्रदेश से 16 मंत्री हैं जो किसी भी राज्य से सबसे अधिक हैं। यह परोक्ष रूप से दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग वोट बैंक को संतुष्ट रखने का प्रयास है।

यह कवायद यह दिखाता है कि भाजपा दलितों तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रही है जिन्होंने पिछले दो दशकों के दौरान मोटे तौर पर उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा को वोट दिया है। अनुसूचित जाति को अपनी ओर करने से भाजपा को राज्य में विधानसभा की 403 सीटों में से 265 सीटें जीतने के उसके लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

पिछड़ों को रिझाने का प्रयास
मंगलवार के मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़े वर्ग से तालुक रखने वाली कुर्मी जाति के वोटों को लुभाने के लिए जहां एक ओर भाजपा के सहयोगी अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया वहीं बसपा के दलित वोट बैंक की प्रमुख जातियों में से एक पासी में सेंधमारी के लिए कृष्णाराज को मंत्री बनाया गया है।

अपना दल पार्टी की सांसद अनुप्रिया पटेल अपनी पार्टी के अंदर उपजी चुनौतियों पर विजय प्राप्त करके आगे बढ़ी हैं और उन्होंने उत्तर प्रदेश की मजबूत कुर्मी नेता के तौर पर पहचान बनाई है।

प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे मिर्जापुर से सांसद 35 वर्षीय अनुप्रिया को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना इस बात की तरफ साफ इशारा करता है कि भाजपा अगले साल विधानसभा चुनाव में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने के लिये आतुर है। खासकर पूर्वांचल के उस इलाके के मतदाताओं को जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी जदयू के लिये संभावनाएं तलाश रहे हैं।

राज्य में कुल मतदाताओं में कुर्मी बिरादरी की करीब आठ प्रतिशत हिस्सेदारी है, लिहाजा चुनाव के लिहाज से यह अहम वोट बैंक है।

दलितों को लुभाने की कोशिश
महिला एवं दलित अधिकारों की आवाज बुलंद करने वाली शाहजहांपुर की सांसद कृष्णा राज को मंत्रिमण्डल में शामिल किये जाने का मकसद जहां एक ओर मोदी सरकार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना है, वहीं विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के पासी मतदाताओं को लुभाना भी है।

अवध विश्वविद्यालय से परास्नातक कृष्णा एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में भी महारत रखती हैं। पहली बार सांसद चुने जाने के बाद वह काफी सक्रिय रही हैं। वह संसद की ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति तथा ग्राम्य विकास, पंचायतीराज तथा पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की सक्रिय सदस्य भी हैं।

महेंद्रनाथ पांडे को मंत्री बनाकर आमतौर पर भाजपा के ही वोट बैंक समझे जाने वाले ब्राम्‍हण समाज को और मजबूती से साधने की कोशिश माना जा रहा है।

मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल तीन नए मंत्रियों को लेकर उत्तर प्रदेश के कुल मंत्रियों की संख्या 16 हो गई है। इनमें तीन ब्राह्मण (कलराज मिश्र, महेश शर्मा और महेन्द्रनाथ पांडेय), दो राजपूत (राजनाथ सिंह और वी के सिंह), दो कुर्मी नेताओं (संतोष गंगवार और अनुप्रिया पटेल) के अलावा लोधी जाति से आने वाली उमा भारती और साध्वी निरंजन ज्योति (निषाद) भी पिछड़े वर्ग से ताल्‍लुक रखती हैं।

पासी जाति की कृष्णा राज को मंगलवार को मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने के बाद अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले रामशंकर कठेरिया का मंत्रिपरिषद से इस्तीफा ले लिया गया, जो विगत दिनों अपने विवादास्पद बयानों के लिए चर्चा में रहे थे। वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री थे।

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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