नई दिल्ली:
पीएम मनमोहन सिंह ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि सरकार का लक्ष्य होता है राष्ट्रहित में काम करे और जनता के भविष्य को सुरक्षित करे। अर्थव्यवस्था का विकास करने के लिए कदम उठाने पड़ते हैं। विकास कार्यों के लिए रकम जुटाने की जरूरत होती है। आज विश्व अर्थव्यवस्था मंदी से गुजर रही है और चीन भी इसका एहसास कर रहा है।
पीएम ने कहा, हमने भारत में मंदी पर काबू करने के लिए कदम उठाए हैं। हम तेल का 80 प्रतिशत आयात करते हैं इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ी कीमतों के चलते डीजल के दाम बढ़ाने पड़े।
मनमोहन सिंह ने कहा, पिछले साल तेल पर सब्सिडी एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपये थी। इस साल दो लाख करोड़ हो जाती। पैसा कहां से आएगा। वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा, इसलिए मजबूरी है कि तेल की कीमतें बढ़ाई जाएं। निवेशकों का विश्वास भारत में कम हो जाता। देश में पैसा नहीं आता। बेरोजगारी बढ़ जाती। देश को बाहर से कर्ज नहीं मिलता। ब्याज बढ़ जाता है, इसलिए अब उठाए गए कदमों के अच्छे नतीजे आएंगे।
उन्होंने कहा, पीएम होने के नाते यह जरूरी है कि मैं कड़े कदम उठाऊं। यूरोपीय देशों में तमाम संकट मुंह बाए खड़े हैं। अपना खर्च उठाने में सक्षम नहीं है। वेतन देने के लिए कर्ज मांग रहे हैं। मेरा वादा है कि भारत में ऐसा नहीं होने दूंगा। डीजल पर होने वाले घाटे को कम करने के लिए 17 रुपये मूल्य बढ़ाने की जरूरत है लेकिन हमने सिर्फ पांच रुपये बढ़ाए। पेट्रोल के दाम न बढ़ने देने के लिए हमने पेट्रोल पर टैक्स पांच रुपये तक कम किया है।
मनमोहन सिंह ने कहा, एलपीजी में आबादी के आधे लोग साल में छह सिलेंडर ही प्रयोग करते हैं, इसलिए सब्सिडी के सिलेंडर इतना देने का निर्णय लिया गया है। हमने मिट्टी के तेल की कीमत नहीं बढ़ने दिए हैं। हमारे यहां डीजल, एलपीजी, पेट्रोल के दाम पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल से कम हैं।
उन्होंने कहा, रिटेल में एफडीआई से छोटे व्यापारियों के नुकसान नहीं पहुंचेगा। देश में पहले से ही बड़े खुदरा व्यापारी मौजूद है। एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में दोनों तरह के कारोबारी होते हैं। इससे किसानों को लाभ होगा। पीएम ने यह दलील भी दी कि जब से मॉल आए हैं, छोटी दुकानों की तादाद भी बढ़ी है। जो विदेशी कंपनी सीधा निवेश करेंगी उन्हें निवेश का पचास प्रतिशत हिस्सा नए स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट में लगाना होगा। इससे किसानों का लाभ होगा और देश में खाद्य प्रसंसकरण में मदद मिलेगी।
विपक्ष पर हमला करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि राजनीतिक दल जबरन विरोध कर रहे हैं। इसलिए उन्हें छूट दी गई है कि वह अपने राज्य में निवेश का फैसला खुद करें। आप लोग उनके बहकावे में न आएं और सरकार में विश्वास रखें।
पीएम ने कहा, हमने भारत में मंदी पर काबू करने के लिए कदम उठाए हैं। हम तेल का 80 प्रतिशत आयात करते हैं इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ी कीमतों के चलते डीजल के दाम बढ़ाने पड़े।
मनमोहन सिंह ने कहा, पिछले साल तेल पर सब्सिडी एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपये थी। इस साल दो लाख करोड़ हो जाती। पैसा कहां से आएगा। वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा, इसलिए मजबूरी है कि तेल की कीमतें बढ़ाई जाएं। निवेशकों का विश्वास भारत में कम हो जाता। देश में पैसा नहीं आता। बेरोजगारी बढ़ जाती। देश को बाहर से कर्ज नहीं मिलता। ब्याज बढ़ जाता है, इसलिए अब उठाए गए कदमों के अच्छे नतीजे आएंगे।
उन्होंने कहा, पीएम होने के नाते यह जरूरी है कि मैं कड़े कदम उठाऊं। यूरोपीय देशों में तमाम संकट मुंह बाए खड़े हैं। अपना खर्च उठाने में सक्षम नहीं है। वेतन देने के लिए कर्ज मांग रहे हैं। मेरा वादा है कि भारत में ऐसा नहीं होने दूंगा। डीजल पर होने वाले घाटे को कम करने के लिए 17 रुपये मूल्य बढ़ाने की जरूरत है लेकिन हमने सिर्फ पांच रुपये बढ़ाए। पेट्रोल के दाम न बढ़ने देने के लिए हमने पेट्रोल पर टैक्स पांच रुपये तक कम किया है।
मनमोहन सिंह ने कहा, एलपीजी में आबादी के आधे लोग साल में छह सिलेंडर ही प्रयोग करते हैं, इसलिए सब्सिडी के सिलेंडर इतना देने का निर्णय लिया गया है। हमने मिट्टी के तेल की कीमत नहीं बढ़ने दिए हैं। हमारे यहां डीजल, एलपीजी, पेट्रोल के दाम पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल से कम हैं।
उन्होंने कहा, रिटेल में एफडीआई से छोटे व्यापारियों के नुकसान नहीं पहुंचेगा। देश में पहले से ही बड़े खुदरा व्यापारी मौजूद है। एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में दोनों तरह के कारोबारी होते हैं। इससे किसानों को लाभ होगा। पीएम ने यह दलील भी दी कि जब से मॉल आए हैं, छोटी दुकानों की तादाद भी बढ़ी है। जो विदेशी कंपनी सीधा निवेश करेंगी उन्हें निवेश का पचास प्रतिशत हिस्सा नए स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट में लगाना होगा। इससे किसानों का लाभ होगा और देश में खाद्य प्रसंसकरण में मदद मिलेगी।
विपक्ष पर हमला करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि राजनीतिक दल जबरन विरोध कर रहे हैं। इसलिए उन्हें छूट दी गई है कि वह अपने राज्य में निवेश का फैसला खुद करें। आप लोग उनके बहकावे में न आएं और सरकार में विश्वास रखें।
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