प्राइम टाइम पर बांदा और महोबा के पौधारोपण की हकीकत दिखाने के बाद अब रातों रात पौधे लगने शुरु हो गए हैं. महोबा बस स्टैंड में फर्श को तोड़कर लगाए पौधे गायब मिले थे उस जगह को लोग पान के पीकदान के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे. लेकिन खबर दिखाने के बाद रातों रात इन जगहों पर तीन तीन फीट के पौधे रोप दिए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक NDTV पर खबर दिखाए जाने के बाद बांदा और महोबा में पौधारोपण की जांच करने के लिए लखनऊ से पौधारोपण परियोजना कोर्डिनेटर विभाष रंजन की टीम बांदा पहुंची है.
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वन विभाग से जुड़े अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्राइम टाइम में दिखाए गए शांति उपवन में भी रातों रात नए पौधे रोपने की तैयारी हो चुकी है. इसी तरह बांदा में बहादुरपुर गड्डिहा में हजारों पौधे रोपे गए थे लेकिन मौके पर ज्यादातर पौधे सूखते मिले.
जांच के लिए बांदा पहुंची टीम महोबा भी पौधारोपण को देखने जाएगी. इसी के चलते पूरे वन विभाग में हड़कंप मचा है. NDTV ने गुरुवार को दिखाया था कि कैसे बीते दस सालों में 300 करोड़ खर्च करके लगाए गए पौधे सूख गए. जबकि ये इलाका गंभीर तौर पर पानी की कमी से जूझ रहा है.
बता दें कि पौधारोपण में तीन बार रिकार्ड बना चुके उप्र में करोड़ों पौधे लगने के बावजूद जंगल का इलाका मामूली तौर पर बढ़ा है. 2017 में आई फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि लगातार करोड़ों पौधे लगने के बावजूद 25 जिलों में वन क्षेत्र घट गया है. यही नहीं पानी की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड के 7 जिलों में 300 करोड़ रुपए की लागत से अब तक 16 करोड़ से ज्यादा पौधे लग चुके हैं लेकिन उसके बावजूद वन्य क्षेत्र न बढ़ा और न घटा. जबकि उप्र की सरकारें पौधारोपण में तीन विश्व रिकार्ड बना चुकी हैं.
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