नई दिल्ली:
'हम दिल्ली से करीब 40 से 60 किलोमीटर की दूरी पर थे जब बाएं इंजन ने जवाब दे दिया।' देश की राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में मंगलवार को क्रैश लैंडिंग करने वाले बीचक्राफ्ट किंग एयर C-90A के दो पायलटों में से एक ने हादसे के समय का मंजर बयां करते हुए यह जानकारी दी।
NDTV से खास बातचीत में पायलट ने इस बात से इनकार किया कि पटना से दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट जा रहा यह प्लेन ईंधन खत्म होने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस प्लेन को एयर एंबुलेंस के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। क्रैश लैंडिंग के बाद धमाके की कोई आवाज नहीं आने के कारण इन अटकलों को बल मिला था कि प्लेन में र्इंधन नहीं था और संभवत: पटना से उड़ान भरते समय इसमें पर्याप्त ईंधन नहीं भरा गया था। न ही मंगलवार की क्रैश लैंडिंग के बाद इसे डी-फ्यूल (ईंधन खाली करना) किया गया जो कि इस तरह के हादसों के बाद किसी भी तरह के विस्फोट को रोकने की एक मानक प्रक्रिया है।
पहचान उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर पायलट ने बताया, 'प्लेन में पर्याप्त ईंधन था।' उसने कहा कि बायां इंजन रुक गया था। लैंडिंग के हमारे प्रयास से करीब एक मिनट पहले प्लेन का दायां इंजन भी फेल हो गया था। विमान के जमींदोज होने को कुछ क्षण ही बाकी थी, यह समय पायलट के लिए दु:स्वप्न के जैसा था उसे इंजन विहीन ग्लाइडर की तरह बन गए प्लेन को सुरक्षित तरीके से लैंड कराना था। अलकेमिस्ट एयरवेज के इस प्लेन में सात लोग सवार थे, इनमें से एक न्यूरोलॉजी (तंत्रिका तंत्र) संबंधी बीमारी से ग्रस्त एक मरीज भी था जिसे गुड़गांव के मेदांता अस्पताल ले जाया जा रहा था। इस खेत में विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।
पायलट जानता था कि उसके पास प्लेन को लैंड कराने का एक ही मौका है लेकिन क्या इसमें जिंदगी बच पाएगी, यह सवाल सामने था। पायलट ने बताया, 'हमने एक खास स्थान को चुना क्योंकि वहां न तो घर थे और न ही बिजली के खंभे।' लैंडिंग गेयर को नीचे करते ही प्लेन ऊबड़खाबड़ और धूल से भरे खेत की सतह पर पहुंच गया। पायलट ने प्लेन के लैंडिंग के दौरान अचानक जमीन पर गिर जाने से इनकार करते हुए कहा कि प्लेन के अत्यधिक दबाव में क्षतिग्रस्त होने से पहले लैंडिंग गेयर 'कुछ देर तक' काम कर रहा था, अंत में प्लेन मुख्य ढांचे के बल पर जमीन पर जा पहुंचा।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने हादसे की जांच शुरू की है। राहत की बात यह रही कि हादसे के दौरान किसी की भी मौत नहीं हुई और ज्यादातर यात्री खुद प्लेन के बाहर जाने में सक्षम थे। जिस मरीज को लाया जा रहा था, उसे भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन उसके सहायक को मामूली चोट आई।
जिन प्लेन की क्रैश लैंडिंग हुई वह उस 11 सीटर बीचक्राफ्ट सुपर किंग बी-200 का छोटा वर्जन था जो पिछले साल 22 दिसंबर को दिल्ली एयरपोर्ट के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस हादसे में बीएएसफ के 10 अधिकारियों को जान गंवानी पड़ी थी।
NDTV से खास बातचीत में पायलट ने इस बात से इनकार किया कि पटना से दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट जा रहा यह प्लेन ईंधन खत्म होने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस प्लेन को एयर एंबुलेंस के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। क्रैश लैंडिंग के बाद धमाके की कोई आवाज नहीं आने के कारण इन अटकलों को बल मिला था कि प्लेन में र्इंधन नहीं था और संभवत: पटना से उड़ान भरते समय इसमें पर्याप्त ईंधन नहीं भरा गया था। न ही मंगलवार की क्रैश लैंडिंग के बाद इसे डी-फ्यूल (ईंधन खाली करना) किया गया जो कि इस तरह के हादसों के बाद किसी भी तरह के विस्फोट को रोकने की एक मानक प्रक्रिया है।
पहचान उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर पायलट ने बताया, 'प्लेन में पर्याप्त ईंधन था।' उसने कहा कि बायां इंजन रुक गया था। लैंडिंग के हमारे प्रयास से करीब एक मिनट पहले प्लेन का दायां इंजन भी फेल हो गया था। विमान के जमींदोज होने को कुछ क्षण ही बाकी थी, यह समय पायलट के लिए दु:स्वप्न के जैसा था उसे इंजन विहीन ग्लाइडर की तरह बन गए प्लेन को सुरक्षित तरीके से लैंड कराना था। अलकेमिस्ट एयरवेज के इस प्लेन में सात लोग सवार थे, इनमें से एक न्यूरोलॉजी (तंत्रिका तंत्र) संबंधी बीमारी से ग्रस्त एक मरीज भी था जिसे गुड़गांव के मेदांता अस्पताल ले जाया जा रहा था।
पायलट जानता था कि उसके पास प्लेन को लैंड कराने का एक ही मौका है लेकिन क्या इसमें जिंदगी बच पाएगी, यह सवाल सामने था। पायलट ने बताया, 'हमने एक खास स्थान को चुना क्योंकि वहां न तो घर थे और न ही बिजली के खंभे।' लैंडिंग गेयर को नीचे करते ही प्लेन ऊबड़खाबड़ और धूल से भरे खेत की सतह पर पहुंच गया। पायलट ने प्लेन के लैंडिंग के दौरान अचानक जमीन पर गिर जाने से इनकार करते हुए कहा कि प्लेन के अत्यधिक दबाव में क्षतिग्रस्त होने से पहले लैंडिंग गेयर 'कुछ देर तक' काम कर रहा था, अंत में प्लेन मुख्य ढांचे के बल पर जमीन पर जा पहुंचा।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने हादसे की जांच शुरू की है। राहत की बात यह रही कि हादसे के दौरान किसी की भी मौत नहीं हुई और ज्यादातर यात्री खुद प्लेन के बाहर जाने में सक्षम थे। जिस मरीज को लाया जा रहा था, उसे भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन उसके सहायक को मामूली चोट आई।
जिन प्लेन की क्रैश लैंडिंग हुई वह उस 11 सीटर बीचक्राफ्ट सुपर किंग बी-200 का छोटा वर्जन था जो पिछले साल 22 दिसंबर को दिल्ली एयरपोर्ट के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस हादसे में बीएएसफ के 10 अधिकारियों को जान गंवानी पड़ी थी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं