![संथारा प्रथा पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा जैन समाज संथारा प्रथा पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा जैन समाज](https://i.ndtvimg.com/i/2015-08/jain-santhara-protest-jaipur_650x400_71440402054.jpg?downsize=773:435)
जयपुर में अदालत के फैसले के खिलाफ निकला जुलूस (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
संथारा मामले में जैन समाज की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। राजस्थान हाई कोर्ट ने संथारा प्रथा को आत्महत्या करार देते हुए इस पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
संथारा जैन समाज की हजारों साल पुरानी प्रथा है, जिसमें किसी व्यक्ति को लगता है कि उसकी मौत निकट है तो तो वह खाना-पीना छोड़ देता है और मौत होने तक मौन व्रत रख लेता है।
दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट ने जैनों के धार्मिक रिवाज 'संथारा' (मृत्यु तक उपवास) को अवैध बताते हुए उसे भारतीय दंड संहिता 306 तथा 309 के तहत दंडनीय बताया था। अदालत ने कहा था कि संथारा या मृत्यु पर्यंत उपवास जैन धर्म का आवश्यक अंग नहीं है। इसे मानवीय नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह मूल मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।
संथारा जैन समाज की हजारों साल पुरानी प्रथा है, जिसमें किसी व्यक्ति को लगता है कि उसकी मौत निकट है तो तो वह खाना-पीना छोड़ देता है और मौत होने तक मौन व्रत रख लेता है।
दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट ने जैनों के धार्मिक रिवाज 'संथारा' (मृत्यु तक उपवास) को अवैध बताते हुए उसे भारतीय दंड संहिता 306 तथा 309 के तहत दंडनीय बताया था। अदालत ने कहा था कि संथारा या मृत्यु पर्यंत उपवास जैन धर्म का आवश्यक अंग नहीं है। इसे मानवीय नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह मूल मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।
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