सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून के दुरुपयोग के खिलाफ याचिका दाखिल

सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून के दुरुपयोग के खिलाफ याचिका दाखिल

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की उम्मीद
  • लोगों में डर पैदा करने और असहमति को दबाने के लिए आरोप
  • एनजीओ कॉमन कॉज ने दायर की याचिका
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका में केंद्र और विभिन्न राज्यों द्वारा राजद्रोह से संबंधित कानून के दुरुपयोग का आज आरोप लगाया गया. याचिका में दावा किया गया कि छात्रों, पत्रकारों और सामाजिक गतिविधियों में शामिल बुद्धिजीवियों के खिलाफ नियमित आधार पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है.

याचिका के अगले सप्ताह सुनवाई के लिए आने की उम्मीद है. याचिका में आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) के दुरुपयोग का निराकरण करने के लिए शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के आरोप ‘लोगों में डर पैदा करने और असहमति को दबाने’ के लिए लगाए जा रहे हैं.

एनजीओ कॉमन कॉज द्वारा दायर याचिका में कहा गया है ‘‘बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं, छात्रों के खिलाफ राजद्रोह के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है. हाल में कश्मीर पर चर्चा का आयोजन करने के लिए एमनेस्टी इंडिया के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाया गया है.’’

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के जरिए दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘इस संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा धारा 124 ए (राजद्रोह कानून) के दुरुपयोग का निवारण करने के लिए एक याचिका दायर की गई है. इसकी वजह से छात्रों, पत्रकारों और सामाजिक कार्य में शामिल बुद्धिजीवियों को नियमित रूप से सताया जा रहा है. यह कहा जाता है कि यह आरोप लोगों में डर पैदा करने और असहमति को दबाने के लिए लगाए जा रहे हैं.’’

शनिवार को एबीवीपी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए बेंगलुरु पुलिस ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था. एमनेस्टी ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन और न्याय से वंचित किए जाने के आरोपों पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसमें एक्टिविस्ट के खिलाफ राजद्रोह के आरोप लगाए जाने के कई हालिया उदाहरणों का हवाला दिया गया है. इसमें कश्मीर में कथित भारत विरोधी बयान के लिए 2010 में अरुंधति रॉय, अपने कार्टून के जरिए कथित तौर पर देश का अपमान करने के लिए कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी, चिकित्सक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन, जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार और डीयू के प्रोफेसर एसएआर गिलानी के मामलों का उदाहरण दिया गया है.

याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गई है कि या तो पुलिस महानिदेशक या पुलिस आयुक्त को राजद्रोह के अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज करने से पहले रिपोर्ट देने को कहा जाए कि अमुख कृत्य की वजह से हिंसा हुई या आरोपी की तरफ से सार्वजनिक व्यवस्था की समस्या पैदा करने की मंशा थी.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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