बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

ट्रिपल तलाक आईपीसी की धारा 498A के तहत क्रूरता, निकाह-हलाला धारा 375 के तहत बलात्कार और बहुविवाह धारा 494 के तहत एक अपराध

बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • लखनऊ के नैश हसन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की
  • भारतीय दंड संहिता 1860 के प्रावधान सभी पर बराबरी से लागू हों
  • युद्ध में बची महिलाओं, बच्चों की भलाई के लिए थी बहुविवाह प्रथा
नई दिल्ली:

बहुविवाह और हलाला के खिलाफ एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. सामाजिक कार्यकर्ता नैश हसन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार दिए जाने की मांग की है.

लखनऊ में रहने वाले नैश हसन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए, क्योंकि यह बहुविवाह और निकाह हलाला को मान्यता देता है. भारतीय दंड संहिता, 1860 के प्रावधान सभी भारतीय नागरिकों पर बराबरी से लागू हों.

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याचिका में यह भी कहा गया है कि ‘ट्रिपल तलाक आईपीसी की धारा 498A के तहत एक क्रूरता है. निकाह-हलाला आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार है और बहुविवाह आईपीसी की धारा 494 के तहत एक अपराध है.

VIDEO : संविधान पीठ के पास बहुविवाह और नकाह हलाला का मामला

याचिका में कहा गया है कि कुरान में बहुविवाह की इजाजत इसलिए दी गई है ताकि उन महिलाओं और बच्चों की स्थिति सुधारी जा सके, जो उस समय लगातार होने वाले युद्ध के बाद बच गए थे और उनका कोई सहारा नहीं था. पर इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी वजह से आज के मुसलमानों को एक से अधिक महिलाओं से विवाह का लाइसेंस मिल गया है.


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